मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले की बंदर हीरा खदान पर आदित्य बिड़ला समूह जल्दी ही काम शुरू कर देगा, क्योंकि सरकार ने इसका आशय पत्र (एलओआई) समूह के अधिकारियों को सौंप दिया है। छतरपुर जिले के बकस्वाहा की बंदर हीरा खदान 364 हेक्टेयर वनभूमि में है, जिसमें 34़ 2 मिलियन कैरेट हीरा होने की संभावना है। इसकी कीमत करीब 55 हजार करोड़ रुपये है। इसके लिए पांच कंपनियों यानी भारत सरकार के उपक्रम नेशनल मिनरल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड, एस्सेल माइनिंग, रूंगटा माइंस लिमिटेड, अडानी ग्रुप की चेंदीपदा कलरी और वेदांता कंपनी ने तकनीकी निविदाएं जमा की थीं।
आदित्य बिड़ला ग्रुप की कंपनी ने बंदर खदान को नीलामी के दौरान उच्चतम बोली 30.5 प्रतिशत लगाकर प्राप्त किया है। यह खदान एशिया महाद्वीप की सबसे उत्कृष्ट जैम क्वोलिटी के हीरों की खदान है। नीलामी प्रक्रिया में देश की बड़ी कंपनियों में शुमार अडानी ग्रुप 30 प्रतिशत अधिकतम बोली लगाकर दूसरे स्थान पर रहा।
खनिज साधन मंत्री प्रदीप जायसवाल ने इस हीरा बंदर खदान का आशय-पत्र (एलओआई) गुरुवार को कंपनी के अधिकारियों को प्रदान किया। इस आशय पत्र के बाद कंपनी को क्षेत्र में काम करने की अनुमति मिल गई है। इसके जरिए समूह वे सभी प्रक्रियाएं शुरू कर सकेगा, जिससे जमीनी स्तर पर काम शुरू हो सके।
आधिकारिक बयान के अनुसार, हीरा बंदर खदान में 34़ 20 मिलियन कैरेट हीरा भंडार होने की संभावना है, जिसका अनुमानित मूल्य 55 हजार करोड़ रुपये आंका गया है। मध्यप्रदेश शासन को इस हीरा खदान से लीज अवधि में लगभग 16 हजार करोड़ रुपये अतिरिक्त प्रीमियम के रूप में प्राप्त होंगे। इसके अलावा, छह हजार करोड़ रुपये रायल्टी के रूप में खनिज मद में प्राप्त होंगे। इस खदान की लीज अवधि 50 वर्ष होगी।
बंदर खदान हमेशा से विवादों में रही है। खनिज विभाग ने खदान 2008 में ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया की साझेदारी वाली रियो टिंटो कंपनी को लीज पर आवंटित की थी। रियो टिंटो ने 2016 में खदान अधूरी छोड़ दी थी। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मैग्नीफिसेंट एमपी में निवेशकों को हीरा खदान चलाने में कोई अड़चन नहीं आने का भरोसा दिलाया था। इसके चलते केवल एक महीने के भीतर पांच बड़े समूह खदान लेने आगे आ गए।