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    जज लोया केस सुप्रीम कोर्ट

    पिछले हफ्ते भारत की न्यायपालिका में एक अभूतपूर्व संकट रहे जस्टिस बी.एच. लोया की मृत्यु पर अब सोमवार को मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्र की अध्यक्षता में एक पीठ इस मामले पर सुनवाई करेगी जस्टिस ए.एम. खानविलकर और डीवाय चंद्रचुद ने कल सुनवाई की अगली तारीख तय करते हुए आदेश दिया था कि मामले को रोस्टर के अनुसार उपयुक्त पीठ के सामने रखा जाए। शनिवार को जारी किये गए दस्तावेजों के अनुसार यह मामला अब मुख्य न्यायाधीशों की पीठ के पास ही रहेगा और वही इस पर अब फैसला करेंगे।

    ज्ञात हो कि दिसंबर 2014 में नागपुर में 48 वर्षीय न्यायाधीश लोया का निधन हो गया था, जब वह एक मामले की सुनवाई कर रहे थे जिसमें 2005 में भाजपा प्रमुख अमित शाह को फर्जी मुठभेड़ देने का दोषी पाया गया था। उनकी मृत्यु का कारण दिल का दौरा बताया गया थाI लोया की मृत्यु के कुछ समय बाद में अमित शाह को नए न्यायाधीश के निर्णय में इस मामले से छुट्टी दे दी गयी थी। नए न्यायाधीश ने यह कहकर शाह को बरी कर दिया था कि उनके खिलाफ कोई सबूत मौजूद नही था। तब इस मामले को ज्यादा तूल नही दी गयी और मामला ख़तम हो गया था लेकिन 2017 के गुजरात चुनाव निकट होने पर तकरीबन दो महीने पहले जस्टिस लोया के रिश्तेदारों ने दावा करते हुए कहा के उनकी मौत अप्राकृतिक थी। उनकी बहन अनुराधा बियाणी ने दावा किया कि उन्हें अमित शाह के पक्ष में शासन करने के लिए एक बड़ी रिश्वत की पेशकश की गई थी। महाराष्ट्र के पत्रकार बीएस लोन और कार्यकर्ता-याचिकाकर्ता तहसीन पूनवाला ने एक स्वतंत्र जांच की मांग करने के लिए एक याचिका भी दायर की थी।

    इससे पहले न्यायमूर्ति लोया की मौत की स्वतंत्र जांच की मांग करते हए दो याचिकाएँ को दो न्यायाधीशों की एक पीठ को सौपा जा चुका है जिसमे न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा भी शामिल थे लेकिन दोनों न्यायाधीशों ने ये मामला वापिस मंगलवार को मुख्य न्यायमूर्ति को भेज दिया था क्योंकि चार न्यायाधीशों ने यह कहा था कि ऐसे मामले जिनका दूरगामी परिणाम होगा उनकी सुनवाई मुख्य न्यायाधीश के समक्ष ही होनी चाहिएI इन चार न्यायाधीशों में जे चेलेमेश्वर, रंजन गोगोई, मदन लोकुर और कुरियन जोसेफ शामिल थे। न्यायामूर्ती अरुण मिश्रा, जो सुनवाई करने वाले दो न्यायाधीशों में से एक थे, उन्होंने बाद में कहा कि उन्हें गलत तरीके से निशाना बनाया गया और उनकी दक्षता के बारे में उन पर अनेक सवाल उठाये गए हालांकि, बाद में जस्टिस चेलमेश्वर ने उन्हें आश्वस्त करते हुए कहा था कि वह किसी भी प्रकार से लक्ष्य नहीं थेI 

    हालांकि, न्यायाधीश लोया के बेटे अनुज लोया ने अब कहा है कि उनको उनकी पिता की मृत्यु के विषय में कोई संदेह नही है और वह किसी भी प्रकार की कोई जांच नही चाहते हैं।