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    दिल्ली हाईकोर्ट ने 2012 निर्भया गैंगरेप के दोषियों में से एक पवन कुमार गुप्ता की याचिका को खारिज कर दिया है। दोषी पवन कुमार गुप्ता ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दावा किया था कि जिस समय अपराध को अंजाम दिया गया था। उस दौरान वह नबालिग था। इसलिए उसे किशोर न्याय अधिनियम के तहत सजा सुनाई जाए।  न्यायमूर्ति सुरेश कायत ने वकील ए. पी. सिंह पर 25,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया, जो अदालत में पेश नहीं हुए। अदालत ने बार काउंसिल ऑफ दिल्ली को झूठे दस्तावेज दाखिल करने के लिए अधिवक्ता के खिलाफ उचित कार्रवाई करने के लिए भी कहा।

    दिल्ली हाईकोर्ट में दोषी की याचिका को खारिज कर दिया है। अब मामले में अन्य तीन दोषियों के साथ पवन कुमार भी मौत की सजा की कतार में हैं। इससे पहले बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया मामले में चार में से एक दोषी अक्षय कुमार सिंह की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया। अक्षय कुमार ने पुनर्विचार याचिका दायर करते हुए कोर्ट को एक बेतुका तर्क दिया था। जिसमें कहा गया था कि वैसे भी दिल्ली में वायु और जल प्रदूषण को देखते हुए मौत की सजा व्यर्थ है।

    सुनवाई के बाद खाचिका खारिज करते हुए, पटियाला हाउस अदालत ने दोषियों के खिलाफ मौत के वारंट जारी करने पर सुनवाई 7 जनवरी के लिए स्थगित कर दी थी। और दोषियों को दया याचिका दायर करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया था।

    ज्ञात हो, वर्ष 2012 में छह लोगों ने राजधानी दिल्ली में निर्भया के साथ सामूहिक बलात्कार किया था। जिसके बाद गंभीर चोटों के कारण उसकी मृत्यु हो गई थी। छह आरोपियों में से एक आरोपी नाबालिग था। जिसे रिफॉर्मेशन होम में तीन साल सजा काटने के बाद बरी कर दिया गया था। बाकी पांच आरोपियों में से एक अन्य आरोपी ने जेल में आत्महत्या कर ली थी।

    दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा दोषी पवन कुमार गुप्ता की याचिका खारिज किए जाने के बाद निर्भया की मां आशा देवी ने खुशी जाहिर की है। उन्होंने कहा है कि मैं अदालत के फैसले का स्वागत करती हूं। ऐसे लोगों को सबक सिखाना बहुत जरूरी है। मैं खुश हूं।

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