मध्य प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों के पट्टाधारियों को मालिकाना हक दिया जाएगा, और इसके लिए सरकार राजस्व संहिता में संशोधन करेगी। इसके साथ ही सरकार अतिथि विद्वानों को सेवा से पृथक नहीं करेगी। यह निर्णय बुधवार को मुख्यमंत्री कमलनाथ की अध्यक्षता में हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में लिया गया। मंत्रिपरिषद के फैसलों की जानकारी राज्य के जनसंपर्क मंत्री पी. सी. शर्मा, राजस्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी ने दी।
राजस्व मंत्री राजपूत ने बताया, “राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में दिए जाने वाले भूखंड के पट्टों पर पट्टाधारी को मालिकाना हक नहीं होता था। उन्हें तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की तस्वीर वाली पुस्तिका दी जाती थी, मगर इसका उपयोग वे बैंक से कर्ज लेने, जमानत सहित अन्य कार्यो में नहीं कर सकते थे।”
राजपूत के अनुसार, “सरकार ने राजस्व संहिता की धारा 244 में संशोधन करके ग्रामीण क्षेत्र के पट्टाधारियों को मालिकाना हक दिए जाने का फैसला किया है। इससे पट्टाधारी राजस्व पुस्तिका का उपयोग बैंक से कर्ज लेने, न्यायालय से जमानत आदि के लिए कर सकेंगे।”
वहीं उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी ने बताया, “विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में अतिथि विद्वानों (शिक्षकों) को सेवा से अलग नहीं किया जाएगा। अतिथि विद्वानों को अनुभव और योग्यता के अनुसार प्राथमिकता दी जाएगी। नियमितीकरण के लिए सरकार ने एक समिति बनाई है। उस समिति के फैसले के आधार पर ही निर्णय लिया जाएगा, क्योंकि सरकार एक वर्ग या विभाग के लिए कोई फैसला नहीं ले सकती है।”
इसके अलावा मंत्रिपरिषद ने जबलपुर के भेड़ाघाट नगर में उप क्षेत्रीय विज्ञान केंद्र की स्थापना करने को मंजूरी दी है। इस केंद्र के लिए पद भी स्वीकृत कर दिए गए। महिला बाल विकास विभाग के आंगनवाड़ी केंद्रों के भवन निर्माण के लिए 255 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि मंजूर की गई है। निर्माण एजेंसी के चयन की जिम्मेदारी जिलाधिकारी को दी गई है।