नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ देशभर में छात्रों द्वारा विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। इस बीच जम्मू एवं कश्मीर सरकार ने राज्य के बाहर पढ़ने वाले छात्रों को सोशल मीडिया का उपयोग सावधानी के साथ करने की हिदायत दी है। छात्रों को शांति को बाधित करने वाली किसी भी तरह की गतिविधि से बचने को कहा गया है।
जम्मू-कश्मीर सरकार के एक बयान में कहा गया है, “छात्रों से अनुरोध है कि वे सोशल मीडिया का उपयोग सावधानी से करें और ऐसी किसी भी गतिविधि से दूर रहें, जो शांति और सद्भाव को बिगाड़ने का काम करे। छात्रों को सलाह दी जाती है कि वे किसी भी अफवाह पर ध्यान न दें।”
सरकार ने भोपाल, जयपुर, दिल्ली-एनसीआर, मेरठ, देहरादून, चंडीगढ़, अलीगढ़, पुणे, बेंगलुरू, चेन्नई और हैदरबाद में छात्रों की सहायता के लिए अधिकारी का नाम व उसका फोन नंबर भी जारी किया है।
बयान में कहा गया है, “बाहर के विभिन्न कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले सभी छात्रों को तुरंत सूचित किया जाता है कि वे जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा नामित संपर्क अधिकारियों से संपर्क करें, ताकि किसी भी शिकायत का निवारण किया जा सके और कठिनाई या संकट को कम किया जा सके।”
जम्मू-कश्मीर सरकार में उच्च शिक्षा के सचिव तलत परवेज ने आईएएनएस को बताया, “छात्रों ने हमसे संपर्क करना शुरू कर दिया है। हमारे केंद्र देशभर में सक्रिय हैं।”
उन्होंने कहा, “सरकार छात्रों की कश्मीर वापसी में सहायता कर रही है। जेएनयू छात्रों का एक समूह जम्मू से श्रीनगर आ रहा है, जोकि रास्ते में ही है।”
सोमवार को विश्वविद्यालय बंद होने के बाद अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के लगभग 120 छात्र जम्मू के लिए रवाना हो गए। विश्वविद्यालय द्वारा परिवहन प्रदान किया गया था।
शारीरिक शिक्षा विषय में पीएचडी कर रहे छात्र अल्ताफ अहमद ने कहा, “विश्वविद्यालय को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया है। हमें हॉस्टल खाली करने के लिए मंगलवार सुबह आठ बजे तक की समय सीमा दी गई।”
उन्होंने कहा, “कुछ छात्र कश्मीर के सुदूर इलाकों से ताल्लुक रखते हैं। हम प्रशासन से अनुरोध करते हैं कि वे हमारे घरों तक वापसी की व्यवस्था करें।”
एएमयू में साहित्य में पीएचडी की पढ़ाई कर रहे एक अन्य छात्र जावीद अहमद ने खराब मौसम के कारण जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग बंद होने की स्थिति में प्रशासन से घर पहुंचने तक की व्यवस्था करने का अनुरोध किया है।