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    पाकिस्तान अमेरिका और चीन

    शीत युद्ध के दौरान पाकिस्तान अमेरिका का एक अहम् साथी और साझेदार था। इसके बाद अफगानिस्तान युद्ध में भी अमेरिका के लिए पाकिस्तान काफी अहम् रहा था। हालाँकि अमेरिका में डोनाल्ड ट्रम्प की सरकार बनने के बाद से दोनों देशों को काफी हद तक दूरियाँ आ गयी हैं। इस दूरी का फायदा चीन और कुछ हद तक रूस उठाना चाहते हैं।

    आपको बता दें कि अफगानिस्तान में आतंकवाद से लड़ाई के दौरान अमेरिका नें पिछले 17 सालों में पाकिस्तान को करीबन 33 अरब डॉलर की सहायता राशि दी थी। इस आर्थिक सहायता को डोनाल्ड ट्रम्प नें पूरी तरह से बंद कर दिया है। ट्रम्प नें हाल ही में एक ट्वीट करते हुए कहा था, “पाकिस्तान अमेरिकी सरकार को मुर्ख समझता है। हमें मुर्ख्तापुर्वक पाकिस्तान को 33 अरब डॉलर की आर्थिक सहायता दी है और पाकिस्तान नें इसे आतंकियों को शरण देने में प्रयोग किया है।”

    ट्रम्प के इस ट्वीट के बाद से ही पाकिस्तान में खलबली मच गयी थी। तुरंत ही एक आपातकाल बैठक बुलाई गई और इसपर चर्चा हुई। कुछ लोगों नें माना कि ट्रम्प ऐसा भारत के दबाव में कह रहे हैं और वे भारत से मजबूत रिश्ता चाहते हैं। अन्य लोगों का कहना है कि पाकिस्तान को अमेरिका की बजाय चीन और रूस से नजदीकियां बढानी चाहिए।

    चीन-पाकिस्तान गठबंधन

    पाकिस्तान से नजदीकियां बढाने के पीछे चीन के लिए एक बड़ा कारण भारत है। आजादी के बाद से ही भारत-पाकिस्तान और भारत-चीन के बीच सबकुछ ठीक नहीं रहा है। सीमा विवाद को लेकर भारत-पाकिस्तान में 4 बड़े युद्ध हो चुके हैं, वहीँ भारत-चीन भी एक युद्ध लड़ चुके हैं। इसके अलावा सैकड़ों बार दोनों देशों के बीच सीमा उल्लंघन होता रहा है।

    चीन अब इस स्थिति का फायदा उठाते हुए पाकिस्तान से नजदीकियां बना रहा है। चीन नें वन बेल्ट वन रोड योजना के जरिये पाकिस्तान में 46 अरब डॉलर खर्च करने की बात कही है। इस योजना को चीन पाकिस्तान आर्थिक मार्ग (सीपीईसी) नाम दिया जा रहा है। इस योजना के जरिये चीन पाकिस्तान में सडकें, पुल, बंदरगाह आदि का निर्माण करेगा। चीन की पूरी कोशिश है कि वह पाकिस्तान के लिए अगला अमेरिका बन जाए।

    चीन पाकिस्तानी सेना के साथ मिलकर कई योजनाओं पर काम कर रहा है। दोनों देशों नें भारत की पश्चिमी सीमा पर निर्माण कार्य शुरू कर दिया है। इसके अलावा पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह पर चीनी सेना नें पूरी तरह से नियंत्रण कर लिया है। कई ख़बरों की मानें तो पुरे पाकिस्तान में सीपीईसी के तहत चीनी सेना तैनात है और पाकिस्तान को इससे कोई एतराज नहीं है।

    भारत

    इस पुरे मामले में हालाँकि भारत के लिए समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। पहले जहाँ अमेरिका-पाकिस्तान गठबंधन से भारत को ज्यादा फर्क नहीं पड़ता था, अब ऐसा नहीं है। चीन और पाकिस्तान भारत को घेरने की फिराक में हैं। पश्चिम में भारत को घेरने के लिए पाकिस्तान पूरी तरह से चीन का साथ दे रहा है। ग्वादर तो पाकिस्तान नें चीन को दे ही दिया है, अब पाकिस्तान के भीतर मौजूद इलाकों पर भी चीन का कब्ज़ा हो रहा है।

    हालाँकि भारत के लिए राहत की बात यह है कि अमेरिका के रूप में उसे एक शक्तिशाली साथी मिल गया है। डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद से ही दोनों देशों के रिश्तों में काफी सुधार हुआ है। खुद ट्रम्प नें भारत को अमेरिका के लिए एक अहम् देश माना है।

    ऐसे में आने वाले समय में यह देखना होगा कि पाकिस्तान-चीन और भारत-अमेरिका का गठबंधन किस ओर जाता है?

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।