पुणे में लगी जातीय हिंसा की आग अब विकराल रूप धारण कर चुकी है। महाराष्ट्र के बाद अब हालात गुजरात में भी गंभीर हो चुके है। गुजरात में दलित समाज बीजेपी दफ्तरों के सामने धरना दे रही है। पुणे में हुई घटना के खिलाफ एक दलित संगठन ने विरोध मार्च निकाला जिसमे लोगों ने रेलवे स्टेशन पर एक ट्रेन के आगे धरना दिया।
राजकोट में भी जातीय हिंसा का प्रभाव देखने को मिला। यह क्षेत्र भी हिंसा की आग से नहीं बच पायी, यहां पर लोगों ने एक सरकारी बस को आग के हवाले कर दिया।
संभाजी भिडे की गिरफ्तारी पर अड़ा दलित समाज
दलित समाज संभाजी भिडे की गिरफ्तारी की मांग कर रही है। संभाजी भिडे हिंदुत्व के बड़े चेहरे माने जाते है। इनका समाज में वर्चस्व इतना ज़्यादा है कि खुद देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इन्हे सम्मानित कर चुके है। इतना ही नहीं अपने एक बयान में तो मोदी इन्हे अपना आदरणीय गुरु तक कह चुके है।
संभाजी के साथ ही मिलिंद एकबोटे पर भी हिंसा भड़काने का आरोप है। मिलिंद एकबोटे हिंदू एकता मोर्चा नाम का संगठन चलाते हैं। समाज में इनका रुतबा इतना ज़्यादा है कि इनके एक इशारे पर लाखों की भीड़ जमा हो जाती है।
कुछ इस तरह भड़की थी जातीय हिंसा
पुणे में जातीय हिंसा एक समारोह के समय भड़क गयी। यह समारोह भीमा युद्ध के याद में आयोजित किया गया था। जानकारी के अनुसार 1 जनवरी 1818 के दिन अंग्रेजों और पेशवा बाजीराव द्वितीय के बीच हुए युद्ध में दलित समाज के लोगों ने पेशवा के सेनिको को हरा दिया था। दलित सैनिक ईस्ट इंडिया कंपनी की फौज में बड़ी संख्या में भर्ती थे और अंग्रेजों की तरफ से लड़ रहें थे।
आज इस घटना को 200 साल पुरे हो चुके है जिसके उपलक्ष्य में कोरेगांव भीमा में कार्यक्रम का आयोजन हुआ था। कार्यक्रम कितना बड़ा था इसका अंदाजा इसी बात से लग जाता है कि समारोह में खुद महाराष्ट्र के खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री गिरीश बापट, बीजेपी सांसद अमर साबले, डेप्युटी मेयर सिद्धार्थ डेंडे सहित बड़े नेता शामिल हुए थे।
कार्यक्रम चल ही रहा था कि अचानक दूसरे समुदायों के लोगों ने वहां पहुंचकर हंगामा करना शुरू कर दिया। विवाद बढ़ा तो दोनों तरफ से पथराव होने लगा कुछ ही देर में इस घटना ने बड़े दंगे का रूप ले लिया और पलक झपकते ही सड़कों पर जगह जगह आग के अंगारे दिखने लगे। गाड़ियों और दुकानों में भारी तोड़फोड़ की गयी और आग लगा दी गयी।
महाराष्ट्र सरकार ने कहा कि जातीय हिंसा सरकार को बदनाम करने की कोशिश
महाराष्ट्र सरकार ने इस जातीय हिंसा को सरकार को बदनाम करने की कोशिश बताया है। सीएम देवेंद्र फडनवीस ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील करते हुए कहा कि मुश्किल की इस घड़ी में सबको साथ रहना चाहिए, हम स्थितियों पर नजर बनाए हुए है और दोषियों को नहीं बख्शा जाएगा। सीएम ने कहा कि पीड़ितों को सरकार मदद देगी तथा दंगे में मरने वाले मृतकों के परिवारजनों को 10 लाख का मुआवजा भी प्रदान करेगी।