चीन की नई हाइपरसोनिक बैलिस्टिक मिसाइल ने जापान, अमेरिका व भारत समेत कई देशों के लिए चिंता बढ़ा दी है। मीडिया रिपोर्टों की माने तो चीन की ये मिसाइल अमेरिका की सुरक्षा के लिए चुनौतीपूर्ण होने के साथ-साथ जापान और भारत में भी ज्यादा सटीक सैन्य लक्ष्यों को मारने में सक्षम है।
टोक्यो स्थित द डिप्लोमैट मैगजीन ने चाइना में पिछले महीने में दो मिसाइलों के परीक्षण की खबर प्रकाशित की थी। इसके बाद साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट में मंगलवार को यह रिपोर्ट आई है।
रिपोर्ट के मुताबिक चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की रॉकेट फॉर्स ने पिछले साल के अंत में एक नए हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल (एचजीवी) के दो परीक्षण किए थे जिसे डीएफ -17 नाम दिया गया। अमेरिकी खुफिया सूत्रों के अनुसार रॉकेट फॉर्स ने 1 नवंबर को पहला परीक्षण व इसके दो सप्ताह बाद दूसरा परीक्षण किया था।
दोनों परीक्षण पूरी तरह से सफल रहे और डीएफ -17 साल 2020 तक शुरू हो सकता है। एचजीवी मानवरहित, रॉकेट से प्रक्षेपित होने वाला यान है जो बेहद तेज रफ्तार के साथ पृथ्वी के वातावरण से निकल जाता है।
चीन की पारंपरिक बैलिस्टिक मिसाइलों की तुलना में एचजीवी हथियार बहुत उच्च गति से कम ऊंचाई वाले ट्रेक न करने वाली जगह पर जा सकता है। इससे बम विस्फोट करने में भी काफी समय लग सकता है।
अधिक सटीक रूप से लक्ष्य हासिल कर सकता है एचजीवी
यह मिसाइल करीब 1400 किलोमीटर तक अपने परीक्षण के दौरान गई। बीजिंग स्थित सैन्य विश्लेषक झोउ चेमिंग ने कहा कि एचजीवी प्रौद्योगिकी दुनिया की तीन बड़ी परमाणु शक्तियों चीन, अमेरिका और रूस के बीच परमाणु रणनीति का हिस्सा बन गई है।
झोउ के मुताबिक पारंपरिक बैलिस्टिक मिसाइलों की तुलना में एचजीवी को मार गिराना बेहद कठिन है। रिपोर्ट मे कहा गया है कि चीन द्वारा एचजीवी प्रौद्योगिकी के अधिक विकास से जापान, अमेरिका व भारत को अधिक चिंतित होने की जरूरत है। क्योंकि यह जापान में सैन्य ठिकानों के साथ ही भारत में परमाणु रिएक्टरों को अधिक सटीक रूप से लक्षित कर सकता है।
विशेषज्ञों के मुताबिक चीन की एचजीवी का इस्तेमाल अमेरिका के थाड़ को नष्ट करने के लिए भी किया जा सकता है। थाड़ अमेरिका का एंटी मिसाइल सिस्टम है। जिसें फिलहाल उत्तर कोरिया हमले से बचने के लिए दक्षिण कोरिया में तैनात किया हुआ है।