सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मथुरा के रास्ते दिल्ली से आगरा को जोड़ने वाली रेलवे लाइन के लिए अतिरिक्त ट्रैक के निर्माण के लिए 452 पेड़ों की कटाई को अनुमति दे दी। कोर्ट ने इसके साथ क्षतिपूरक वनीकरण करने का निर्देश दिया। प्रधान न्यायाधीश एस.ए.बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ नेशनल लीगल सर्विस अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएएलएसए) के सदस्य सचिव को एक अधिकारी नियुक्त करने व वनीकरण के हिस्से के तौर पर लगाए गए पौधों का निरीक्षण कर हर तीन महीने पर रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया। ऐसा कोर्ट ने अगले आदेश तक करने के लिए कहा। इस पीठ में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एस.ए.नजीर भी शामिल हैं।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि संबंधित अधिकारियों द्वारा पौधों की देखभाल के लिए उचित पद्धति नहीं अपनाने पर पौधे मर जाते हैं।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, “हम हर तीन महीने में पौधों की स्थिति पर रिपोर्ट चाहते हैं, कि वे जिंदा है या मर गए हैं। इस पर एक रिपोर्ट दी जाए, चाहे वे मरे हों या जीवित हों। हम पौधे की स्थिति पर नियतकालिक रिपोर्ट चाहते हैं।”
कोर्ट ने यह भी कहा कि एनएएलएसए द्वारा नियुक्त अधिकारी को उत्तर रेलवे और वन विभाग द्वारा लगाए गए पौधों का निरीक्षण करना होगा और यह भी जांचना होगा कि पौधों को पानी दिया जा रहा और उन्हें उचित पोषण मिल रहा है या नहीं।
शीर्ष कोर्ट ने कहा, “कोई भी पौधा जो मर गया उसे बदला गया या नहीं। सदस्य सचिव को उपरोक्त स्थिति का पालन करना होगा और अगले आदेश तक हर तीन महीनों पर रिपोर्ट देनी होगी।”
कोर्ट ने यह भी कहा कि उसे आगरा में खास तौर पर टीटीजेड जोन में ओवरफ्लो करते नालों की जानकारी दी गई है। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश राज्य सरकार के वकील से पूछा कि इसके बारे कौन क्या करेगा और क्या किया जा रहा है, इसके बारे में सूचित किया जाए।