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    पाकिस्तान में इमरान खान सरकार के मंत्रियों में न केवल आपस का तालमेल कम है बल्कि इनके बीच कड़वाहट भी है, इसका संकेत उस वक्त मिला जब देश की मानवाधिकार मामलों की मंत्री डॉ. शिरीन मजारी विदेश मंत्रालय के कामकाज के तरीके पर बरस पड़ीं।

    उन्होंने भरी सभा में साफ कहा कि विदेश मंत्रालय बदलते वक्त के हिसाब से खुद को ढालने में नाकाम रहा है। पाकिस्तान के मानवाधिकार मंत्रालय द्वारा सोमवार को ‘मानवाधिकार कूटनीति’ पर आयोजित सेमिनार में मजारी ने इस बात पर अफसोस जताया कि ‘कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघन’ पर उनके द्वारा किए गए प्रयासों को न केवल विदेश मंत्रालय सराहने में विफल रहा बल्कि उसने अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर इनका फॉलोअप भी नहीं किया।

    मजारी ने कहा, “आज अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था लगातार बढ़ रहे समझौतों और संधियों के जरिए चल रही है। इन समझौतों और संधियों का पाकिस्तान भी हिस्सा है। यह मायूस करने वाला है कि विदेश मंत्रालय ने इन बदलावों के साथ अपनी रफ्तार नहीं मिलाई और कूटनीति की दुनिया में होने वाले बदलावों से यह अनजान बना रहा।”

    उन्होंने कहा कि इन करारों की वजह से पाकिस्तान को फायदा भी हुआ है लेकिन विदेश मंत्रालय देशों के बीच के संबंध में मानवाधिकार कूटनीति की केंद्रीय भूमिका को समझने में विफल रहा है। उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रालय द्वारा मानवाधिकारों के मुद्दे को अधिक महत्व नहीं देने की वजह से वह ‘भारत द्वारा कश्मीर में किए गए मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामले पूरी तरह से बेनकाब नहीं कर सका।’

    मजारी ने कहा कि पांच अगस्त को ‘भारत द्वारा कश्मीर को अपने में मिला लेने के बाद’ उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संस्थाओं को ‘भारत द्वारा सीमावर्ती इलाकों में कलस्टर बमों के इस्तेमाल’ जैसे कई मानवाधिकार मुद्दों की जानकारी दी लेकिन विदेश मंत्रालय ने इनका फॉलोअप नहीं किया।

    उन्होंने कहा कि देश की विदेश नीति के पूरे ढांचे को आधुनिक समय की जरूरतों के हिसाब से फिर से बनाए जाने की जरूरत है।

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