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    यहां लेविस स्टेडियम में सिलिकॉन वैली के चुनिंदा जनसमूह के लिए भारतीय शास्त्रीय संगीत की प्रस्तुति देने के लिए तैयार मशहूर सरोद वादक अमजद अली खान का कहना है कि योग की तरह ‘हिंदुस्तानी संगीत’ की आध्यात्मिक और ध्यान शक्ति नई दुनिया की कल्पना में जरदस्त रूप से छा जाने के लिए तैयार है।

    संगीत जगत की दिग्गज शख्सीयत ने सोमवार रात होने वाले अपने बहुप्रतीक्षित प्रदर्शन की पूर्व संध्या पर आईएएनएस से कहा, “योग ने महाद्वीपों में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है और अब विश्व मंच पर झंडा गाड़ने की बारी हिंदुस्तानी संगीत की है। मेरे लिए, यह हमारे संगीत को वैश्विक प्रौद्योगिकी गुरुओं के सामने पेश करने का एक शानदार अवसर है, जो दुनिया के भविष्य को आकार दे रहे हैं।”

    गूगल, फेसबुक, एप्पल, सिस्को, माइक्रोसॉफ्ट, पेपाल, डेल, एचपी, सिमेंटेक जैसी दिग्गज प्रौद्योगिकी कंपनियों के शीर्ष अधिकारी उन लोगों में शामिल हैं, जिन्हें भारतीय शास्त्रीय संगीत के लिए भारतीय अरबपति और एचसीएल के संस्थापक शिव नाडार ने कैलिफोर्निया बे एरिया के सेंटा क्लारा में पहली बार आयोजित हो रहे भारतीय शास्त्रीय संगीत कार्यक्रम के लिए विशेष रूप से आमंत्रित किया है।

    शिव नाडार ने सिलिकॉन वैली की प्रमुख हस्तियों के सामने भारतीय शास्त्रीय संगीत की समृद्ध विरासत को प्रदर्शित करने के लिए अमजद अली खान और उनके बेटों, अयान और अमान अली को चुना है।

    ऐतिहासिक संगीत कार्यक्रम की पूर्व संध्या पर, अमजद अली खान ने कहा कि उन्होंने पहली बार 1963 में अमेरिका में प्रस्तुति दी थी और तब से पश्चिम में श्रोताओं का मनोरंजन करना बदस्तूर जारी है।

    स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में संगीत की तालीम दे चुके अमजद अली खान ने कहा, “हालांकि, यह संगीत कार्यक्रम बाकियों से अलग है, क्योंकि इसका पैमाना और दायरा बहुत बड़ा है। पहले, ज्यादातर एनआरआई और भारतीय शास्त्रीय संगीत के अनुयायी हमारे शो में आते थे। लेकिन, अब हम अपने संगीत को बे एरिया के दिग्गजों के पास ले जा रहे हैं।”

    73 साल की उम्र में, सरोद वादक, पश्चिम में भारत की संगीत विरासत को लोकप्रिय बनाने को लेकर प्रतिबद्ध हैं।

    दिग्गज सरोद वादक ने कहा, “मैं आपको बता दूं कि भारतीय शास्त्रीय संगीत का श्रोता पर ध्यान जैसा प्रभाव होता है। 1984 में, जब मैं अमेरिका आया था, तो मुझे बताया गया था कि माइकल जैक्सन मुझसे मिलना और मेरी प्रस्तुति देखना चाहते हैं। यद्यपि जैक्सन की अपनी शैली थी, लेकिन वह भारतीय शास्त्रीय संगीत से भी प्रभावित थे। उस दौरे के दौरान काम की पूर्व प्रतिबद्धताओं के चलते मैं दुनिया के सबसे बड़े पॉपस्टार से मिल नहीं पाया.. लेकिन मैं जो मैं कहना चाहता हूं, वह यह है कि हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत लोगों को मंत्रमुग्ध करने की ताकत रखता है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे बड़े हैं या छोटे हैं। विज्ञान ने साबित किया है कि इसका मानव मन पर सकारात्मक प्रभाव है..यही कारण है कि अब हमारे पास म्यूजिक थेरेपी है।”

    2014 के नोबेल शांति पुरस्कार समारोह में प्रस्तुति के बारे में याद दिलाए जाने पर उन्होंने कहा कि आयोजकों ने प्रस्तुति के लिए केवल पांच मिनट दिए। परंपरागत रूप से, हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में यह संभव नहीं है।

    अमजद अली खान ने कहा, “हमने शुरू में इनकार करने के बारे में सोचा था। हालांकि, मंच वैश्विक था .. और बाद में हमने सोचा कि समय की इतनी बाध्यता के बावजूद हम निर्धारित समय में प्रस्तुति देंगे। अंत में, मैंने लोक संगीत को चुना और शो वास्तव में बहुत अच्छा हुआ।”

    अमजद अली खान उस संगीत घराने में जन्मे हैं, जिसका संबंध महान संगीतकार तानसेन से है, जिन्हें मुगल सम्राट अकबर द्वारा संरक्षण प्राप्त था।

    उस्ताद अमजद अली खान और उनके बेटे इस शो को दूसरे अंतर्राष्ट्रीय एचसीएल संगीत कार्यक्रम के हिस्से के रूप में पेश कर रहे हैं, जिसका उद्देश्य दुनिया भर में भारतीय शास्त्रीय संगीत को बढ़ावा देना है।

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