संसद में आज का दिन ऐतिहासिक हो सकता है। लोकसभा से मंजूरी मिलने के बाद आज तीन तलाक विधेयक को राज्यसभा में पेश किया जाएगा। इस बिल पर वाद-विवाद जारी है।
सरकार भले ही यह दावा करे कि विधेयक को विभिन्न मुस्लिम संस्थाओं, संगठनों और इस्लाम के जानकारों के मुताबिक बनाया गया है और इसे बनाते वक्त धार्मिक स्वतंत्रता का ख्याल रखा गया है लेकिन मुस्लिम समाज का एक वर्ग इन बातों से पूरी तरह से असंतोष है। बिल पर असदुद्दीन ओवैसी समेत मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपना ऐतराज जताया है।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस बिल में बहुत सी कमियां गिनाते हुए इसे इस्लाम के खिलाफ बताया है तो वहीं ओवैसी मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने बिल को गैर जरूरी करार दिया है। राज्यसभा में सरकार इस बिल को पास करवाने के सपने देख सकती है लेकिन राहें इतनी आसान भी नहीं है। आज का दिन सरकार के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है।
राज्यसभा में सरकार के पास बहुमत नहीं है ऐसे में विरोधी दलों के साथ के बिना इस विधेयक को पास कराना आसान नहीं है। कांग्रेस ने आज समर्थन नहीं दिया तो बिल को व्यापक विचार विमर्श के लिए संसदीय समित के पास भेजा जा सकता है।
कांग्रेस का रुख फिफ्टी फिफ्टी
तीन तलाक पर कांग्रेस का रुख फिफ्टी फिफ्टी जैसा है। पार्टी के कुछ नेता इस विधेयक को अपना समर्थन देना चाहते है जबकि कुछ इसके विरोध में है ऐसे में गुलाम नबी आजाद ने राज्यसभा में विधेयक को पेश किये जाने से ठीक पहले पार्टी नेताओं की एक बैठक बुलाई है। राज्यसभा में आज क्या होगा इस बात का फैसला पार्टी आज बैठक में कर सकती है।
राज्यसभा से मंजूरी के बाद भी अटक सकता है विधेयक
इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने यह दावा किया है कि अगर आज तीन तलाक संबधी विधेयक को राज्यसभा से मंजूरी मिलती है तो वो सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। मुस्लिम समाज का एक वर्ग भी इस बिल के खिलाफ है और इसमें संशोधनों की मांग कर रहा है।