मद्रास उच्च न्यायालय ने भारतीय वॉलीबॉल महासंघ (वीएफआई) को झटका देते हुए प्रो वॉलीबॉल लीग (पीवीएल) के आयोजन को लेकर जारी विवाद में बेसलाइन वेंचर्स द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया है। बेसलाइन वेंचर्स द्वारा दाखिल निषेध आवेदन पर सुनवाई करते हुए मद्रास उच्च न्यायालय ने 4 दिसंबर, 2019 तक की यथास्थिति का आदेश दिया और दोनों पक्षों को एक सौहार्दपूर्ण समाधान निकालने के लिए दो सप्ताह का समय दिया।
बेसलाइन वेंचर्स इस मामले में सौहार्दपूर्ण समाधान निकालने के लिए पहले से ही वीएफआई की कार्यकारी समिति को एक पत्र भेजकर मीटिंग के लिए समय और तारीख तय करने की मांग कर चुका है।
वीएफआई ने 18 नवम्बर, 2019 को पीवीएल के आयोजन को लेकर बेसलाइन के साथ हुए 10 साल के करार को रद्द कर दिया था। यह फैसला वीएफआई के एजीएम में किया गया था, जो जयपुर में हुआ था। वीएफआई ने कहा था कि वह खुद की लीग शुरू करना चाहता है।
ऐसे में मद्रास उच्च न्यायालय का आदेश वीएफआई के लिए तगड़ा झटका है क्योंकि न्यायालय ने यथास्थिति बरकरार रखने को कहा है। साथ ही अदालत ने यह भी कहा है कि इस सम्बंध में वीएफआई अगले दो सप्ताह तक किसी भी फ्रेंजाइजी, स्पांसर या फिर ब्रॉडकास्टर से सम्पर्क नहीं कर सकता क्योंकि पहले उसे बेसलाइन के साथ जारी विवाद का समाधान निकालना है।
वीएफआई मौजूदा फ्रेंचाइजी मालिकों तक पहुंचने की कोशिश कर रहा था और लगभग सभी ने उसके साथ कुछ भी करने के लिए अपनी अनिच्छा दिखाई है।
बेसलाइन के सूत्रों ने कहा कि अदालत का आदेश यह साबित करता है कि वीआईएफ का बेसलाइन के साथ करार खत्म करने का फैसला गलत और एकतरफा था और बेसलाइन इस लीग को आगे ले जाने के लिए श्रेष्ठ कदम उठाने को तैयार है।
सूत्र ने कहा कि यह वॉलीबाल प्रेमियों और खिलाड़ियों की जीत है क्योंकि लीग से सभी को फायदा हुआ है और फरवरी 2019 में आयोजित इसका पहला संस्करण काफी सफल रहा था।
पीवीएल का पहला सीजन काफी सफल रहा था और इसने वैश्विक स्तर पर वॉलीबाल प्रेमियों का ध्यान आकर्षित किया था। इसे देखते हुए एफआईवीबी अध्यक्ष आरे ग्रासा ने दूसरे सीजन के फाइनल में मौजूद रहने का वादा किया था लेकिन उससे पहले ही वीएफआई ने बेसलाइन का करार खत्म कर दिया।