भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने गुरुवार को आश्चर्यजनक रूप से रेपो रेट को अपरिवर्तित रखा, जिससे बाजार में बेचैनी पैदा हो गई। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने इस फैसले का बचाव किया और केंद्रीय बैंक के ‘मुख्य उद्देश्य’ महंगाई व मूल्य नियंत्रण की याद दिलाई। यह मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के अधिकांश सदस्यों के साथ-साथ गवर्नर के पूर्व के फैसले के विपरीत है।
लगातार छठी बार दर में कटौती की उम्मीदों की उपेक्षा करते हुए आरबीआई ने गुरुवार को घोषणा की कि रेपो रेट को अपरिवर्तित 5.15 फीसदी रखा जाएगा। इस अप्रत्याशित फैसले को लेकर सभी में इसका कारण जानने की उत्सुकता पैदा हुई।
घोषणा के बाद मीडिया से बातचीत में दास ने कहा कि वर्तमान में मंहगाई की मार ज्यादा है, ऐसा व्यापक रूप से उच्च खाद्य महंगाई की वजह से है।
उन्होंने आगे कहा कि जनवरी-मार्च के दौरान खाद्य मुद्रास्फीति ‘बहुत ज्यादा’ रहेगी, जिसने आरबीआई को दर में कटौती पर रोक लगाने के लिए प्रेरित किया।
दास ने कहा, “वर्तमान में मंहगाई ज्यादा है, जो खाद्य महंगाई की वजह से है। हमारा आकलन बताता है कि चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में खाद्य महंगाई के विशेष रूप से बहुत ज्यादा है और इसका संतुलन आगामी महीनों में कई कारकों पर निर्भर करता है।”
कोर महंगाई के बारे में उन्होंने कहा कि इसके 4 फीसदी से नीचे रहने की संभावना है, जबकि कुछ कारकों, जिसमें टेलीकॉम टैरिफ व अन्य का भी इस पर असर पड़ने की संभावना है।
दास ने यह भी कहा कि पिछली पांच एमपीसी बैठकों में 135 आधार अंकों (बीपीएस) की दर में कटौती के बावजूद, खुदरा ऋण में संचरण केवल 44 बीपीएस रहा है। उन्होंने कहा कि दरों में कटौती को कुछ और समय दिए जाने की जरूरत है।