मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) से बातचीत के भरोसे के बावजूद दिल्ली यूनिवर्सिटी के आंदोलनकारी प्रोफेसर और शिक्षक कुलपति कार्यालय के बाहर जमे हुए हैं। इस बीच गुरुवार को विरोध-प्रदर्शन स्थल पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (डूटा) के अध्यक्ष राजीब रे ने कहा, “हम यहां इसलिए हैं, क्योंकि कुलपति के दफ्तर का गेट जो हमेशा खुला रहता है, शिक्षकों के लिए लंबे अरसे से बंद है और हम चाहते हैं कि इसे फिर से खोला जाए।”
प्रदर्शन के दौरान कुछ हल्की झड़पें भी हुईं। यह उस समय हुईं जब प्रदर्शनकारी कुलपति के दफ्तर में घुसना चाहते थे व पुलिस और सुरक्षा बलों ने उन्हें पीछे की ओर धकेल दिया।
इससे पहले दिन में डूटा और दिल्ली यूनिवर्सिटी प्रशासन के बीच मसले का हल निकालने के लिए छह घंटे तक बैठक चली, लेकिन कोई समाधान नहीं निकल सका।
राजीब रे ने कहा, “जब आप समाधान के लिए कुछ लेकर नहीं आते और कहते हैं कि प्रदर्शन खत्म कर दीजिए, तो ऐसी स्थिति में आप मुद्दे के हल की उम्मीद नहीं सकते हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि शिक्षक अब मानव संसाधन विकास मंत्रालय का इंतजार कर रहे हैं, जिसके बारे में उनका मानना है कि उनसे मामले में सहायता मिल सकती है।
इससे पहले दिल्ली यूनिवर्सिटी के सैकड़ों शिक्षकों के कई महीनों के वेतन के भुगतान नहीं किए जाने के खिलाफ एक दिन के भारी विरोध प्रदर्शन के बाद मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) के अधिकारियों ने मामले में दखल देने व दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (डूटा) से मुद्दे को सुलझाने के लिए शाम को वार्ता आयोजित करने का फैसला किया।
डूटा के साथ दिल्ली विश्वविद्यालय के सैकड़ों प्रोफेसर और तदर्थ शिक्षक (एड-हॉक) बकाया भुगतान की मांग के साथ तदर्थ शिक्षकों की नियुक्ति, समावेशन और पदोन्नति की मांग कर रहे हैं।
यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर व डूटा के साथ प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे राजेश झा ने आईएएनएस से कहा, “डूटा के अधिकारियों को आज शाम एमएचआरडी में बुलाया गया है, ताकि मामले को हल किया जा सके।”
मंत्रालय का यह कदम बुधवार रात सैकड़ों शिक्षकों के डीयू के कुलपति योगेश त्यागी के कार्यालय में प्रवेश करने व नई शिक्षा नीति व दिल्ली यूनिवर्सिटी प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करने के बाद उठाया गया है।
इस प्रदर्शन के दौरान शिक्षकों ने कुलपति कार्यालय की दीवारों पर पेंट किया और कार्यालय व काउंसिल हाल के बाहर के लोहे के गेट को तोड़ दिया।
राजेश झा ने कहा कि शिक्षकों ने कुलपति त्यागी की अगुवाई में विश्वविद्यालय प्रशासन के ‘विनाशकारी मंसूबे’ को नाकाम करने व विरोध करने का संकल्प लिया है।