नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) का विरोध कर रहे हजारों आदिवासियों ने गुरुवार को त्रिपुरा के मुख्य राष्ट्रीय राजमार्ग व रेलमार्ग को अवरुद्ध कर दिया, जिससे पूर्वोत्तर राज्य देश के शेष भाग से कट गया।
नागरिकता संशोधन विधेयक-2019 को संसद में नहीं लाने की मांग करते हुए त्रिपुरा की सबसे पुरानी आदिवासी पार्टी इंडीजिनस नेशनलिस्ट पार्टी ऑफ त्रिपुरा (आईएनपीटी) द्वारा पश्चिम त्रिपुरा जिले के साधुपाड़ा में सुबह छह बजे से राष्ट्रीय राजमार्ग व रेलवे लाइन को अवरुद्ध कर दिया गया।
पश्चिम त्रिपुरा के जिला पुलिस प्रमुख माणिक लाल दास ने कहा कि केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, त्रिपुरा स्टेट राइफल्स और पुलिस बल को किसी भी घटना से निपटने के लिए पहाड़ी क्षेत्रों में तैनात किया गया है।
दास ने फोन पर आईएएनएस को बताया, “स्थिति सामान्य और नियंत्रण में है। हम सड़क और रेल यातायात को सामान्य करने के लिए प्रदर्शनकारी और उनके नेताओं के साथ मार्ग को खुलवाने के लिए बातचीत कर रहे हैं।”
आईएनपीटी के महासचिव जगदीश देबबर्मा ने कहा कि वे किसी भी तरह से त्रिपुरा और पूर्वोत्तर भारत के अन्य हिस्सों में संशोधित नागरिकता कानून को लागू नहीं होने देंगे।
अनुभवी आदिवासी नेता देबबर्मा ने मीडिया से कहा, “हम केंद्र सरकार से आग्रह करते हैं कि वह नागरिकता (संशोधन) विधेयक-2019 को संसद में पेश न करे। प्रस्तावित कानून पूर्वोत्तर के जनसांख्यिकीय ढांचे को नष्ट कर क्षेत्र के मूल निवासियों की स्थिरता, जीवन और संस्कृति को खतरे में डाल देगा।”
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को छोड़कर इसके सहयोगी दलों सहित सभी राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और स्थानीय दल नागरिकता संशोधन विधेयक का कड़ा विरोध कर रहे हैं।
आईएनपीटी त्रिपुरा में सत्तारूढ़ भाजपा की सहयोगी पार्टी है। आईएनपीटी ने इस विधेयक के विरोध में दो दिसंबर को दिल्ली के जंतर-मंतर पर सात घंटे लंबा प्रदर्शन किया था। इसके साथ ही पार्टी ने स्वदेशी आदिवासियों के लिए अलग राज्य की मांग भी की थी।