ईरान के उप विदेश मंत्री अब्बास अराक्ची ने कहा कि 2015 ईरान परमाणु समझौते के अंतर्गत अपनी प्रतिबद्धताओं को कम करने के बावजूद ईरान की समझौते से अलग होने की कोई योजना नहीं है। समाचार एजेंसी तसनीम ने बुधवार को यह जानकारी दी।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, मंगलवार को टोक्यो में जापान के विदेश मंत्री तोशिमित्सु मोटेगी से बैठक के दौरान अराक्ची ने कहा, “इस्लामिक गणराज्य ने अपनी प्रतिबद्धताएं कम करने का फैसला किया है, क्योंकि यूरोपीय देश समझौते के अंतर्गत ईरान के आर्थिक हितों की रक्षा करने की अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा नहीं कर सके।”
इस समझौते को जॉइंट कंप्रिहेंसिव प्लान ऑफ एक्शन (जेसीपीओए) के नाम से जाना जाता है।
ईरान के वरिष्ठ परमाणु वार्ताकार की भूमिका निभा चुके अराक्ची ने कहा, “हमारा उद्देश्य जेसीपीओए से अलग होना नहीं है.. अगर अमेरका प्रतिबंध हटा दे और ईरान को समझौते का लाभ मिलने लगे तो हम जेसीपीओए की प्रतिबद्धताओं का पालन करने लगेंगे।”
मई 2018 में अमेरिका के जेसीपीओए से अलग होने और इस्लामिक गणराज्य पर दोबारा प्रतिबंध लगाने के और ईरान के बैंकिंग लेन-देन और उसके तेल निर्यात को सुगम बनाने में यूरोपीय देशों की सुस्ती के जवाब में ईरान ने जेसीपीओए के अंतर्गत की गई अपनी प्रतिबद्धताओं को खत्म कर दिया था।
भूतल में स्थित फोडरे परमाणु संयंत्र में गतिविधियां बढ़ाने के अलावा, ईरान ने परमाणु ईंधन का भंडार बनाना शुरू कर दिया है और निम्न स्तर के यूरेनियम को उच्च गुणवत्ता के यूरेनियम में बदलना शुरू कर दिया है।