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    भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने खुदरा महंगाई दर को नियंत्रित रखने के लिए प्रमुख दरों में गुरुवार को कोई बदलाव नहीं किया।

    आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने मौजूदा वित्त वर्ष की अपनी पांचवीं समीक्षा में रेपो रेट या वाणिज्यिक बैंकों के लिए अल्पकालिक ब्याज दर को 5.15 प्रतिशत पर बरकरार रखा।

    इसी तरह एमपीसी ने रिवर्स रेपो रेट को 4.90 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। इसके साथ ही मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (एमएसएफ) दर और बैंक दर को 5.40 प्रतिशत पर यथावत रखा गया है।

    हालांकि इसके पहले आरबीआई ने पिछली पांच नीतिगत समीक्षाओं के दौरान प्रमुख ब्याज दरों में लगातार कटौती की थी। यह कटौती उपभोग में मौजूदा सुस्ती को पलट कर उसमें तेजी लाने के उद्देश्य से की गई थी, जिसके कारण देश की अर्थव्यवस्था नीचे लुढ़क गई है।

    लेकिन एमपीसी अपने उदार रुख को बरकरार रखे हुए है।

    पांचवें द्विमासिक मौद्रिक नीति बयान (2019-20) में कहा गया है, “एमपीसी ने यह भी निर्णय लिया है कि वृद्धि दर में तेजी लाने के लिए उदार रुख की जबतक जरूरत पड़ेगी, इसे कायम रखा जाएगा। यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि महंगाई दर लक्ष्य के अंदर बना रहे।”

    पिछले महीने अर्थव्यवस्था के आंकड़ों से पता चला कि खाद्य कीमतों में वृद्धि के कारण अक्टूबर में देश की खुदरा महंगाई दर सितंबर के 3.99 प्रतिशत से बढ़कर 4.62 प्रतिशत हो गई है।

    इसके अतिरिक्त आरबीआई की एमपीसी को लगता है कि निकट भविष्य में महंगाई दर बढ़ेगी, लेकिन वित्त वर्ष 2020-21 की दूसरी तिमाही तक यह लक्ष्य के अंदर हो सकती है।

    एमपीसी ने इसके साथ ही वित्त वर्ष 2020 के लिए देश की जीडीपी वृद्धि दर अनुमान को 6.1 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया। एमपीसी ने अक्टूबर की नीतिगत समीक्षा में 6.1 प्रतिशत वृद्धि दर का अनुमान लगाया था।

    जीडीपी अनुमान घटाया

    भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए देश के जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर का अनुमान गुरुवार को घटाकर पांच फीसदी कर दिया। इससे पहले दूसरी तिमाही में जीडीपी छह साल के निचले स्तर 4.5 फीसदी पर रही और इसके मंद बने रहने का अनुमान है। अपनी अक्टूबर की मौद्रिक नीति समीक्षा में आरबीआई ने वित्त वर्ष 2019-20 में जीडीपी वृद्धि दर के 6.1 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था।

    केंद्रीय बैंक ने कहा कि जुलाई-सितंबर की जीडीपी वृद्धि अनुमान से काफी कम हो गई है और विभिन्न संकेतक बताते हैं कि घरेलू और बाहरी मांग की स्थिति कमजोर बनी हुई है।

    आरबीआई ने अपनी मौद्रिक नीति बयान में कहा, “मौद्रिक ट्रांसमिशन में सुधार और वैश्विक व्यापार तनावों के त्वरित समाधान वृद्धि अनुमानों के लिए सकारात्मक हैं, लेकिन घरेलू मांग में सुधार में हो रही देरी व वैश्विक आर्थिक गतिविधियों में मंदी व भू-राजनीतिक तनावों के कारण इसके नकारात्मक होने का खतरा है।”

    हालांकि, आरबीआई का अनुमान है कि वर्तमान वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में व्यापारिक भावना में मामूली सुधार होगा।

    आरबीआई ने कहा, “सकारात्मक पक्ष यह है कि फरवरी 2019 के बाद से मौद्रिक नीति में ढील और पिछले कुछ महीनों में सरकार की ओर से शुरू किए गए उपायों से घरेलू मांग में तेजी आ सकती है।”

    मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने कहा है कि आर्थिक गतिविधि और कमजोर हो गई है और उत्पादन नकारात्मक बना हुआ है।

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