देश के सबसे प्रतिष्ठित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी)-रुड़की में दाखिला पाना छात्रों का सपना होता है, मगर इस साल अभिस्नातक की 18 सीटें खाली रह गई हैं। यह पढ़कर आपको अचरज हो सकता है, मगर सच यही है। सूचना के अधिकार के तहत यह खुलासा हुआ है।
मध्य प्रदेश के नीमच जिले के निवासी और सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने सूचना के अधिकार के जरिए आईआईटी-रुड़की जो कि इस बार की जेईई (एडवांस) परीक्षा की आयोजनकर्ता संस्था भी रही है, के बारे में यह जानकारी मांगी थी। उन्होंने जानना चाहा था कि, देशभर के विविध आईआईटी सस्थानों में वर्ष 2019 की काउंसलिंग प्रक्रिया (प्रवेश प्रक्रिया) पूरी होने के बाद किस आईआईटी कलेज में कुल कितनी सीटें खाली पड़ी है एवं इन सीटों को भरने के लिए क्या प्रयास किए गए हैं।
गौड़ को सूचना के अधिकार के आवेदन के जवाब में केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी ने कहा कि, मांगी गई जानकारी जेईई एडवांस, रुड़की के दफ्तर में उपलब्ध नहीं है। यह जानकारी अलग-अलग संस्थान से हासिल की जा सकती है और इस आवेदन को आईआईटी-रुड़की के एकेडमिक अफेयर्स ऑफिस को अग्रेषित कर दी थी।
आईआईटी रुड़की के एकेडमिक अफेयर्स ऑफिस द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की द्वारा प्रवेश की अंतिम तिथि 20 जुलाई, 2019 के स्थान पर बढ़ाकर 31 जुलाई 2019 करने के बावजूद वर्ष 2019 में अभिस्नातक कार्यक्रम में कुल 18 सीटें रिक्त रह गई है।
यहां बताना लाजिमी होगा कि, यह तो सिर्फ अकेले आईआईटी-रुड़की में ही खाली रह गई सीटों के आंकड़ें हैं, जबकि देशभर में कुल आईआईटी की संख्या 23 हैं, उनमें कितनी सीटें खाली रही होंगी, इसका ब्यौरा अभी तक सामने नहीं आया है।
आईआईटी-रुड़की का महत्व इस बात से ही आंका जा सकता है कि हाल ही में इसके कुछ छात्रों को 60 लाख रुपये से लेकर डेढ़ करोड़ रुपये तक की नौकरी के सालाना पैकेज (अधिकतम) के प्रस्ताव मिले, जो सुर्खियों में हैं।
गौड़ को ही पूर्व में एक आरटीआई आवेदन पर वर्ष 2017-18 की परीक्षा आयोजनकर्ता संस्था आईआईटी-मद्रास (चेन्नई) ने शैक्षणिक सत्र 2017-18 की संस्थान वार जानकारी देते हुए बताया था कि उस वर्ष विविध आईआईटी संस्थानों में कुल 119 सीटें खाली रह गई थीं।
गौड़ का कहना है, “इन प्रीमियर संस्थानों में प्रवेश पाना एक उम्मीदवार का सपना होता है। इसके लिए वह कड़ी प्रतिस्पर्धा से गुजरता है एवं वहां पर भी इतनी सीटें खाली रह जाना चिंताजनक एवं परेशान करने वाला तो है ही, इसके साथ ही यह योग्य उम्मीदवार के साथ अन्याय एवं संसाधनों की बर्बादी भी है, क्योंकि यह सीटें पूरे चार साल तक खाली रहेंगी। इसलिए बेहतर होगा कि इन खाली पड़ी सीटों पर फिर से सप्लीमेंटरी काउंसलिंग कर इन्हें पात्र उम्मीदवारों से भरा जाए। यह उम्मीदवार एवं संस्थान दोनों के हित में होगा।”
सूचना के अधिकार के तहत आईआईटी-रुड़की में सीटें खाली रह जाने का खुलासा मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अगस्त में किए गए उस दावे पर सवाल खड़े कर रहा है, जिसमें कहा गया था कि, इस बार देश के सभी मौजूद 23 भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों की सभी सीटें पहली बार भर गई हैं। तब बताया गया था कि सभी आईआईटी के सक्रिय सहयोग और आईआईटी-रुड़की के समन्वयन से सभी आईआईटी में अंडरग्रेजुएट पाठयक्रमों की सभी 13,604 सीटें भर गई हैं।
एचआरडी सचिव ने ट्वीट किया था, “इस वर्ष आईआईटी में 13,604 प्रवेश और कोई सीट खाली नहीं -एमएचआरडी में हमारे लिए एक महान कदम, जिसे सभी आईआईटी के सहयोग और आईआईटी रुड़की के समन्वयन से हासिल किया गया।”
अब आईआईटी-रुड़की में 18 सीटें खाली होने का खुलासा हुआ है, जो सवाल खड़े करने वाला है। सीटों का खाली रह जाना काबिल बच्चों के सपनों को तोड़ने वाला तो है ही, साथ ही प्रक्रिया को भी सवालों के घेरे में लाने वाला है।