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    जम्मू एवं कश्मीर में पिछले साल की तुलना में इस वर्ष आतंकवादियों द्वारा घुसपैठ की कोशिशों में गिरावट आई है। यह बात केंद्र सरकार ने मंगलवार को लोकसभा में कश्मीर में घुसपैठ से संबंधित एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कही।

    यह सवाल कांग्रेस नेता कोमटेरेड्डी वेंकट रेड्डी ने पूछा था, जिसके जवाब में गृह राज्य मंत्री किशन रेड्डी ने कहा कि अक्टूबर के महीने तक आतंकवादियों ने इस साल जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ के 114 प्रयास किए, जबकि पिछले साल यह संख्या 143 थी।

    उन्होंने कहा कि सुरक्षा बलों के ठोस और समन्वित प्रयासों के कारण पिछले कुछ वर्षों में जम्मू-कश्मीर में बड़ी संख्या में आतंकवादी बेअसर हो गए हैं।

    उन्होंने कहा, “भारत सरकार ने सीमा पार से घुसपैठ को रोकने के लिए एक बहुपक्षीय ²ष्टिकोण अपनाया है।”

    मंत्री ने कहा, “इसमें अंतर्राष्ट्रीय सीमा/एलओसी के साथ बहुस्तरीय तैनाती, सीमा पर बाड़ लगाना, बेहतर खुफिया जानकारी और परिचालन समन्वय शामिल हैं। इसके साथ ही सुरक्षा बलों को उन्नत हथियारों से लैस करना और घुसपैठियों के खिलाफ सक्रिय कार्रवाई करना भी शामिल है।”

    सोमवार को सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के महानिरीक्षक अजमल सिंह ने श्रीनगर में संवाददाताओं से कहा था कि इस साल घुसपैठ के स्तर में कमी आई है।

    सिंह ने कहा था, “घुसपैठ में काफी कमी आई है। यह उसी स्तर का नहीं है, जैसा पहले हुआ करता था। जब बर्फ गिरती है तो लोग घुसपैठ करते हैं, लेकिन इसका अनुच्छेद-370 से कोई लेना-देना नहीं है।”

    “पाकिस्तान सेना घुसपैठ के दौरान हमेशा गोलीबारी का सहारा लेती है। संघर्ष विराम उल्लंघन के पीछे का उद्देश्य घुसपैठ को आसान बनाना भी है, लेकिन हमारी सेना घुसपैठ की कोशिशों को नाकाम करने के लिए सतर्क है।”

    उन्होंने कहा कि घुसपैठ का ग्राफ गिरने के बाद पाकिस्तान ने प्रशिक्षण शिविर बंद नहीं किए हैं।

    उन्होंने कहा, “पाकिस्तान स्थित सभी लॉन्च पैड्स में आतंकवादी मौजूद हैं और भारतीय क्षेत्र में घुसने के मौके का इंतजार कर रहे हैं।”

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