कांग्रेस के एक नेता ने मंगलवार को असम विधानसभा में कैचर और जगरोड में दो पेपर मिलों के निजीकरण के सरकार के कदम के खिलाफ अपनी हथेली काट ली। दोनों पेपर मिल्स पहले काफी मुनाफा कमा रहे थे, लेकिन वित्तीय कुप्रबंधन के कारण कई वर्षों से ये बंद पड़े हुए थे। इससे इनके कुछ कर्मचारियों को आर्थिक संकट और बेरोजगारी के कारण आत्महत्या करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
मरियानी निर्वाचन क्षेत्र के कांग्रेस विधायक रूपज्योति कुर्मी ने अपने बाएं हाथ की हथेली काट ली और पेपर मिल के निजीकरण के लिए राज्य सरकार का विरोध जताते हुए एक सफेद कागज पर खून से नारे लिखे।
बराक घाटी के पंचग्राम में कैचर पेपर मिल और जगरोड में नागांव पेपर मिल क्रमश: अक्टूबर 2015 और मार्च 2017 से बंद हैं।
पेपर मिलों के श्रमिकों को ढाई साल से अधिक समय से वेतन नहीं मिला है। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ने इस साल दो मई को उनके परिसमापन (हिसाब-किताब का फैसला) का आदेश दिया था।
2015-16 में नागांव मिल में उत्पादन बंद हो गया और भारी घाटे व पूंजी की कमी के कारण मार्च 2017 में इसे बंद कर दिया गया। इसके अलावा कैचर पेपर मिल में 2015 से काम बंद हो गया था।
कांग्रेस विधायक ने मीडिया से कहा, “निजीकरण के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन हुए हैं, लेकिन सरकार ने विरोध प्रदर्शनों पर ध्यान नहीं दिया है। सरकार के रवैये ने मुझे यह कदम उठाने के लिए मजबूर किया। यह सरकार के लिए एक संदेश है कि आने वाले दिनों में पेपर मिल के लिए विरोध प्रदर्शन भयंकर होगा।”