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    हितों के टकराव या फिर कामकाज में नैतिकता जैसी बातों को किनारे रखते हुए पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा एक ऐसी बैठक में शामिल हुए जो मूल रूप से एक सरकारी बैठक थी और जिसमें खुद उन्हीं के मामले में फैसला लिया जाना था।

    जनरल बाजवा को सेवा विस्तार देने के मामले में जारी एक नहीं बल्कि दो अधिसूचनाओं में इतनी खामियां थीं कि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें खारिज कर दिया। बाजवा के सेवा विस्तार मामले में सरकार के फैसले के रद्द होने की आशंकाएं बढ़ गई थीं और ऐसे में प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक और आपात बैठक बुलाई।

    आनन-फानन में बुलाई गई इस बैठक में जनरल के सेवा विस्तार पर तीसरी अधिसूचना पर विचार किया गया और इसे जारी करने पर सहमति बनी। इसमें वरिष्ठ संघीय मंत्री शामिल हुए, पूर्व कानून मंत्री व अदालत में बाजवा का पक्ष रख रहे बैरिस्टर फरोग नसीम, महान्यायवादी अनवर मंसूर खान, प्रधानमंत्री के अटॉर्नी बाबर अवान शामिल हुए और इन सभी के साथ खुद बाजवा शामिल हुए।

    पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि इस बैठक के बाद कोई आधिकारिक बयान नहीं जारी हुआ लेकिन इसमें बाजवा के पहुंचने ने ध्यान खींचा। यह अपने आप में काफी खास था क्योंकि सरकारी अधिकारियों की बैठक में उन्होंने पहले कभी हिस्सा नहीं लिया था।

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