दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को तिहाड़ जेल प्रशासन से 2012 के निर्भया सामूहिक दुष्कर्म मामले में दोषी पाए गए आरोपियों द्वारा किए जा रहे कानूनी उपायों पर रिपोर्ट तलब की है। अतरिक्त सत्र न्यायाधीश सतीश अरोड़ा ने निर्देश जारी करने के बाद अब मामले को शुक्रवार के लिए सूचीबद्ध कर दिया है। इससे पहले स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर (वकील) राजीव मोहन ने अदालत को सूचित किया कि कोई उपचारात्मक याचिका दायर नहीं होने के चलते अभी तक दोषियों को मौत का वारंट जारी नहीं किया गया है।
मोहन ने कहा कि अभी तक सीआरपीसी की धारा 413 के तहत प्रक्रिया शुरू नहीं की गई है।
निर्भया के माता-पिता ने अदालत में दोषियों को फांसी देने की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए याचिका दायर की है, जिसपर सुनवाई हो रही थी। उन्होंने पिछले साल दिसंबर में तिहाड़ जेल अधिकारियों को निर्देश देने के लिए अदालत से संपर्क किया था, ताकि सभी चार दोषियों को फांसी देने की प्रक्रिया को तेज किया जा सके।
31 अक्टूबर को तिहाड़ जेल प्रशासन ने मामले में दोषियों को एक नोटिस जारी करते हुए कहा था कि अगर वे इसे दया याचिका के माध्यम से चुनौती नहीं देते हैं, तो उन्हें सात दिनों में मृत्युदंड दिया जाएगा।
गौरतलब है कि 16 दिसंबर, 2012 को दक्षिणी दिल्ली के मुनीरका में एक प्राइवेट बस में अपने एक दोस्त के साथ चढ़ी 23 साल की पैरा मेडिकल छात्रा के साथ एक नाबालिग सहित छह लोगों ने चलती बस में सामूहिक दुष्कर्म और लोहे के रॉड से क्रूरतम आघात किया गया था।
इसके बाद गंभीर रूप से घायल पीड़िता और उसके पुरुष साथी को चलती बस से महिपालपुर में बस से नीचे फेंक दिया गया था। पीड़िता का इलाज पहले सफदर जंग अस्पताल में चला, उसके बाद तत्कालीन शीला दीक्षित सरकार ने बेहतर इलाज के लिए उसे विशेष विमान से सिंगापुर भेजा था, जहां वारदात के 13वें दिन उसने दम तोड़ दिया था।
इस वीभत्स दुष्कर्म कांड ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। छह आरोपियों में से एक नाबालिग था, जिसे रिमांड होम भेजा गया था, वहीं एक अन्य आरोपी ने तिहाड़ जेल में खुद को फांसी लगा ली थी।