लोकसभा में बुधवार को ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक विधेयक ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। इस विधेयक को सरकार द्वारा कैंसर जैसे स्वास्थ्य संबंधी खतरों का मुद्दा उठाने के बाद पारित किया गया।
इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट (उत्पादन, विनिर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, विक्रय, वितरण, भंडारण और विज्ञापन) विधेयक, 2019 पर लोकसभा में हुई चर्चा का जवाब देते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि यह उत्पाद लोगों के स्वास्थ्य के लिए बहुत ही नुकसानदायक है।
इस विधेयक पर चर्चा मंगलवार को मंत्री द्वारा विचार व पारित किए जाने के लिए पेश करने के बाद शुरू हुई थी।
विपक्षी दलों के दावों को खारिज करते हुए मंत्री ने कहा कि ई-सिगरेट ‘कम हानिकारक है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि यह हानिकारक नहीं है।’
हर्षवर्धन ने उस अध्यादेश का भी बचाव किया, जिसे केंद्र ने इस साल सितंबर में लागू किया। उन्होंने कहा सरकार को ई-सिगरेट और इसी तरह के उत्पादों के बढ़ते उपयोग पर रोक लगाने की जरूरत महसूस हुई।
विधेयक पर मंगलवार को बहस में कांग्रेस के कई सांसदों सहित, बीजू जनता दल (बीजद), बहुजन समाज पार्टी (बसपा), तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) और राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) ने भाग लिया। उन्होंने अन्य तंबाकू उत्पादों के उत्पादन में शामिल निजी भारतीय उद्योगों के कारोबार की सुरक्षा को लेकर सरकार पर निशाना साधा।
मंत्री ने कहा कि ई-सिगरेट को प्रतिबंधित करना जरूरी है, जो बैटरी से संचालित ई-उपकरण है, जो एक तत्व को गर्म कर वाष्प बनाती है, जिसे सांस के जरिए अंदर लिया जाता है। ई-सिगरेट में निकोटीन व अन्य सुगंध हो सकता है।
केंद्र ने 18 सितंबर को इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट (उत्पादन, आयात, निर्यात, बिक्री, वितरण, भंडारण, विज्ञापन) निषेध अध्यादेश को लागू किया, जिसके तहत भारत में ई-सिगरेट के निर्माण, व्यापार और विज्ञापन पर प्रतिबंध है।