प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी) के आगामी 25वें सम्मेलन (सीओपी) में भारत के वार्ता रुख को मंजूरी दे दी। यह बैठक दो से 13 दिसंबर के बीच स्पेन के मैड्रिड (चिली की प्रेसीडेंसी के तहत) में आयोजित होने वाली है।
भारत एक रचनात्मक और सकारात्मक ²ष्टिकोण के साथ बातचीत में शामिल होगा और अपने दीर्घकालिक विकास हितों की रक्षा के लिए काम करेगा।
भारत अपने कार्यों में महत्वाकांक्षी रहा है और इसने इस बात पर जोर दिया है कि विकसित देशों को महत्वाकांक्षी कार्यों को अंजाम देना चाहिए और 2020 तक प्रति वर्ष 100 अरब डॉलर जुटाने की अपनी जलवायु वित्त प्रतिबद्धताओं को पूरा करना चाहिए।
भारत विकसित देशों द्वारा 2020 से पूर्व प्रतिबद्धताओं को पूरा करने की आवश्यकता पर जोर देगा।
भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर करेंगे। सीओपी-25 एक महत्वपूर्ण सम्मेलन है, क्योंकि विभिन्न देश पेरिस समझौते व क्योटो प्रोटोकॉल के तहत 2020 से पूर्व की अवधि से 2020 के बाद की अवधि के लिए जाने की तैयारी कर रहे हैं।
एक आधिकारिक बयान के अनुसार, भारत के ²ष्टिकोण को यूएनएफसीसीसी और पेरिस समझौते के सिद्धांतों और प्रावधानों द्वारा निर्देशित किया जाएगा।
बयान में कहा गया कि जलवायु परिवर्तन पर भारत का नेतृत्व स्पष्ट है और दुनिया भर में इसे अच्छी तरह से पहचाना जाता है।
बयान में कहा गया, “भारत सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जलवायु परिवर्तन संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिए कई पहलें की हैं और ये पहल भारत की जलवायु कार्रवाई के प्रति प्रतिबद्धता और महत्वाकांक्षा को दशार्ती हैं।”
संयुक्त राष्ट्र महासचिव द्वारा हाल ही में आयोजित जलवायु एक्शन समिट में प्रधानमंत्री ने अक्षय ऊर्जा लक्ष्य को 450 गीगावॉट तक बढ़ाने पर भारत की योजना की घोषणा की है।