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    महाधिवक्ता तुषार मेहता ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जम्मू एवं कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने अनुच्छेद 370 को हटाने से पहले भड़काऊ भाषण देते हुए कहा था, “भारत फिलिस्तीन के मामले में इजरायल की तरह एक अतिक्रमणकारी शक्ति बन जाएगा।” पांच अगस्त के बाद कश्मीर में लगाए गए प्रतिबंधों को सही ठहराते हुए केंद्र ने न्यायमूर्ति एन.वी. रमन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया कि कश्मीर में राजनेताओं ने कई जनसभाओं में अपने भाषणों के माध्यम से भारत-विरोधी भावनाओं को भड़काया है।

    मेहता ने शीर्ष अदालत को बताया कि विपक्ष के नेताओं ने स्थानीय आतंकवादियों को ‘माटी की संतान’ बताया। मेहता ने कहा कि एक भड़काऊ भाषण में नेताओं ने कश्मीर के विशेष दर्जे का हवाला देकर चेतावनी दी थी कि “आग से ना खेलो, वर्ना यह तुम्हें जला देगी।”

    उन्होंने एक भाषण का उल्लेख करते हुए कहा, “भारत के झंडे के अलावा जम्मू एवं कश्मीर में कौन सा झंडा होगा?”

    उन्होंने कहा कि मुख्यधारा के नेता इस स्थिति पर चर्चा करने के लिए विवश करने पर अलगाववादियों से संपर्क में हैं और फिर प्रतिक्रिया के लिए एक तंत्र तैयार करते हैं।

    मेहता ने कहा कि बयानों में जाहिर हुआ है कि कश्मीर का अपना प्रधानमंत्री होगा।

    भारत-विरोधी भाषणों का जिक्र करते हुए महाधिवक्ता तुषार ने कहा, “वे लोगों को सरकार के खिलाफ विद्रोह करने के लिए उकसा रहे हैं..उन्होंने अलगाववादी बयान भी दिए हैं।”

    केंद्र ने तर्क दिया कि विपक्ष के नेताओं को अनुच्छेद 370 में किसी भी बदलाव का विरोध करने का हक है। मेहता ने कहा कि अनुच्छेद 370 को खत्म किए जाने से कुछ दिन पहले कुछ नेताओं ने कहा था, “हम केंद्र को बताना चाहते हैं कि अनुच्छेद 370 से छेड़छाड़ करना आग से खेलना है.. जिसे छूने पर हाथ जल जाएंगे और फिर पूरा शरीर जल जाएगा।”

    मेहता ने कोर्ट को बताया कि कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के बाद एक बयान में कहा गया, “तिरंगा उठाने वाला एक भी कंधा नहीं बचेगा।”

    उन्होंने सार्वजनिक सभाओं में दिए गए भाषणों का भी जिक्र किया, “अफवाहें हैं कि अनुच्छेद 370 पर हमला किया जाएगा। हमें इसके खिलाफ एकता दिखानी होगी, हमें इसे बचाना होगा और हम इसके लिए अपना जीवन और संपत्ति कुर्बान कर देंगे.. सभी राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं को इस संदेश के साथ घर-घर जाना होगा।”

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