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    उत्तर प्रदेश में अयोग्य और भ्रष्ट अधिकारियों पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कार्रवाई जारी है और उन्होंने प्रदेश में विभिन्न कैडरों के 1,000 से ज्यादा अधिकारियों को नौकरी से निकाल दिया है।

    मुख्यमंत्री की भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति की गाज इस बार आईएएस अधिकारी राजीव कुमार पर गिरी और उन्हें जबरन सेवानिवृत्ति का नोटिस दिया गया है। इस बारे में केंद्र को भी सूचित कर दिया गया है।

    वर्ष 1983 बैच के आईएएस अधिकारी राजीव कुमार पर नोएडा में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे थे और वे कुछ समय तक जेल में भी रहे।

    मुख्यमंत्री के सचिवालय के सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री ने परिवहन विभाग में विभिन्न कैडरों के 37, राजस्व विभाग के 36 और बेसिक शिक्षा विभाग के 26 कर्मियों को सेवानिवृत्ति दे दी है।

    मुख्यमंत्री सचिवालय के एक अधिकारी ने कहा, “इन सभी पर भ्रष्टाचार के आरोप थे और कुछ लोगों को विभागीय जांच में अयोग्य माना गया।”

    पंचायती राज विभाग के 25 अधिकारियों के अलावा लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के 18, श्रम विभाग और संस्थानिक वित्त विभाग में 16-16 और वाणिज्यिक कर विभाग में 16 लोगों को जबरन सेवानिवृत्ति दे दी गई है।

    नियुक्ति विभाग के सूत्रों ने कहा कि विदेश के असाइनमेंट्स पर अतिरिक्त समय तक रहने के कारण पांच आईएएस अधिकारियों को पहले ही सेवानिवृत्त मान लिया गया। ये अधिकारी शिशिर प्रियदर्शी (1980 बैच) अतुल बगाई (1983 बैच), अरुण आर्य (1985 बैच), संजय भाटिया (1990 बैच) और रीता सिंह (1997 बैच) हैं।

    मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिया है कि भ्रष्ट अधिकारियों को दंड के तौर पर प्रतीक्षा सूची में रखा जाना चाहिए।

    राज्य सरकार ने निलंबित चल रहे प्रांतीय सिविल सेवा (पीसीएस) अधिकारियों के खिलाफ भी जांच शुरू कर दी है। इनमें घनश्याम सिंह, राजकुमार द्विवेदी, छोटेलाल मिश्रा, अंजू कटियार, विजय प्रकाश तिवारी, शैलेंद्र कुमार, राज कुमार, सत्यम मिश्रा, देवेंद्र कुमार और सौजन्य कुमार विकास हैं।

    टर्मिनेट किए गए पीसीएस में अशोक कुमार शुक्ला, अशोक कुमार लाल और रणधीर सिंह दुहान हैं, वहीं प्रभु दयाल का डिमोशन कर उन्हें उप जिलाधिकारी से तहसीलदार बना दिया गया है और गिरीश चंद्र श्रीवास्तव का भी डिमोशन कर दिया गया है।

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