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    योगी आदित्यनाथ

    यूपी में यूपीकोका कानून पर बहस के बाद एक बार फिर राजनीति गरमा गयी है। इस बार बहस के केंद्र बिंदु खुद सीएम योगी आदित्यनाथ है। दरअसल प्रदेश की सरकार ने एक ऐसा फैसला लिया है जिसके तहत योगी समेत सभी 10 आरोपियों को अपने ऊपर चल रहे तमाम सरकारी केसों से क्लीन चीट मिल जाएगा।

    यूपी सरकार ने अपने निर्देश में कहा है कि सभी तथ्यों के जांच पड़ताल के बाद अब यह निर्णय लिया गया है कि योगी, शिव प्रताप शुक्ला और शीतल पांडे समेत 10 आरोपियों के खिलाफ चल रहे मामलों को वापस लिया जाए।

    मामलों को वापस लेने के लिए बाकायदा योगी सरकार ने गोरखपुर के डीएम को लिखित निर्देश भी दे दिए है। पीपीगंज पुलिस स्टेशन के रिकॉर्ड के मुताबिक यह मामला 27 मई 1995 का है जिसमे योगी समेत 14 लोगों के खिलाफ निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने का आरोप है। इस मामले में योगी आदित्यनाथ के अलावा प्रदेश के वित्त मंत्री शिव प्रताप शुक्ला, भाजपा एमएलए शीतल पाण्डे और 10 अन्य लोग शामिल हैं।

    कोर्ट ने जारी किया था गैर जमानती वारंट

    यह मामला इतना बढ़ गया था कि कोर्ट तक चला गया था। डीएम ने इस घटना से जुड़े तमाम दस्तावेज कोर्ट में जमा कर करवाए थे जिसके बाद अदालत ने आरोपियों के खिलाफ समन जारी कर दिया था।

    कोर्ट के समन जारी करने के बावजूद किसी भी आरोपी के अदालत ना आने पर कोर्ट ने इनके खिलाफ गैर जमानती वैरेंट जारी कर दिया था। यूपी सरकार के इस फैसले पर एक बार फिर प्रदेश का राजनैतिक माहौल गरमा गया है। लोग इस मामले में सोशल मीडिया में जमके कमेंट कर रहे है।