प्याज के दामों में कमी लाने अथवा देश में प्याज की घरेलू आपूति बढ़ाने लिए केंद्र सरकार प्याज की न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) 850 डॉलर प्रति टन से बढ़ाकर 1000 डॉलर प्रति टन कर सकती है। एमईपी दर से नीचे निर्यात की अनुमति नहीं है। सूत्रों के अनुसार सरकार जल्द ही कैबिनेट की बैठक में इसकी घोषणा कर सकती है। पिछले दिनों आयोजित सचिवों की बैठक में इस बात पर सहमति बन चुकी है।
देश के ज्यादातर शहरों में प्याज की खुदरा कीमतें 80-85 रूपए प्रति किलो तक हैं। हांलाकि प्याज की कीमतें कुछ घटी हैं, फिर भी आम आदमी के जेब पर प्याज की कीमतें अभी भारी पड़ रही हैं।
प्याज का आयात
सरकार ने एमएमटीसी को 2000 टन प्याज आयात करने का निर्देश जारी कर दिया है। आप को जानकारी के लिए बता दें कि देश में प्याज की कुल फसल का 40 फीसदी पैदावार खरीफ सीजन के दौरान और बाकी रबी की फसल के दौरान होता है। महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, बिहार और गुजरात प्रमुख प्याज उत्पादक राज्य हैं।
व्यापारिक आंकड़ों (दिसंबर के पहले सप्ताह के अनुसार) पर नजर डालें तो राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के खुदरा बाजार में प्याज और टमाटर की कीमत 70-80 रुपये प्रति किलोग्राम के दायरे में चल रही थी। जबकि अन्य प्रमुख शहरों में भी कमोबेश यही स्थिति बनी हुई है।
गौरतलब है कि सरकार ने नवंबर महीने में प्याज पर प्रतिटन 850 अमेरिकी डॉलर एमईपी लगाया था। उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान ने अगस्त महीने में वाणिज्य मंत्रालय से प्याज के निर्यात कीमतों पर एमईपी लगाने की मांग की थी।
पैदावार में बढ़ोतरी
नवंबर महीने में आवक बढ़ने का मतलब, इस साल प्याज की पैदावार ज्यादा हुई है। ऐसे में अब थोड़े ही दिनों में प्याज की कीमत सस्ती हो सकती है। कुछ दिनों बाद खुदरा बाजार में भी प्याज की कीमतें घटती दिखेंगी। बतौर उदाहरण नवंबर 2016 में लासलगावं में प्याज की मासिक आवक 1.57 लाख क्विंटल रही जब कि नवंबर 2017 में प्याज की मासिक आवक 2.27 लाख क्विंटल दर्ज की गई। संभव है, अगले महीने तक प्याज की कीमतों में कुछ नरमी जरूर दिखेगी।
प्याज के दामों में बढ़ोतरी के कारण
- तेलंगाना राज्य के कृषि विपणन विभाग के अधिकारियों के अनुसार गुजरात, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल में भारी बारिश के कारण के चलते प्याज की कीमतों असमान्य वृद्धि हुई।
- सितंबर और अक्टूबर महीने में देर से आई बारिश के चलते तेलंगाना में प्याज की फसल को नुकसान पहुंचा है।
- प्याज की बढ़ती हुई कीमतों के पीछे सट्टेबाजों और मुनाफाखोरों की कारस्तानी भी शामिल है।
- साल 2015-16 की तुलना में साल 2016-17 में प्याज के निर्यात में तीन गुना इजाफा हुआ।
- बंपर निर्यात से घरेलू बाजार में प्याज की सप्लाई बिल्कुल घट गई थी।