लगभग हर चुनाव में बीजेपी के नेता गायों का मुद्दा उठाते है। गायों पर सबसे ज्यादा राजनीति और बयान भी यहीं पार्टी देती है और यह साबित करने में लगी रहती है कि वो गायों की सबसे बड़ी शुभचिंतक है। बावजूद इसके गायों की सबसे जायदा खराब दुर्दशा भी बीजेपी शासित राज्यों में ही है। कम से कम खबरों को देखकर तो यही लगता है।
ऐसे में यह सवाल उठाया जाना लाजमी है कि एक तरफ तो सत्ता पक्ष इन जानवरों को मुद्दा बनाकर अपनी कुर्सी बचाने की हरसंभव प्रयास करता है तो दूसरी तरफ इनकी अनदेखी भी क्यों करता है? क्या गायों का मुद्दा मंच से चिल्लाने भर से रह गया है? क्या चुनावी वादों और नारों के अलावा इन जानवरों का कोई अस्तित्व अब नहीं बचा है?
गायों की जो हालत है वो चिंताजनक है। राजस्थान के बाद अब छत्तीसगढ़ में भी भारी तादाद में गायों की मौत का मामला सामने आया है। छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के मगरलोड गांव की एक गौशाला में इस हफ्ते में 23 गायों के मरने का मामला सामना आया है। इस मामले में सबसे दुखद बात यह है कि इन गायों की मौत किसी बिमारी से नहीं बल्कि अधिकारीयों की लापरवाही की वजह से हुई है।
खबर है कि गौशाला में यह सभी गायें भूख-प्यास से तड़प तड़प कर मर गईं। अब जब मामला हाथ से निकल गया है तो सरकार ने जांच के आदेश दे दिए है। गौशाला संचालक को प्रशासन ने पशु क्रूरता अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया है।
मामले की गंभीरता को इस बात से समझा जा सकता है कि मरने के बाद गायों को उसी गौशाला में दफना दिया जाता था। इस राज से पर्दा तब खुला जब स्थानीय निवासियों को मिटटी से गन्दी बदबू आनी शुरू हो गयी। मामले की जब छानबीन की गयी तो जमीन में गायों के दफ़न अंग दिखाई देने शुरू हो गए।
इस मामले में संचालक का कहना है कि सिर्फ उन्ही गायों की मौत हुई है जो बूढी और बीमार थी तथा इस गौशाला को बिना किसी बाहरी मदद के निस्वार्थ भाव से चलाया जा रहा था। संचालक ने इन मौतों को प्राकर्तिक मौत बताया है।
इससे पहले भी अगस्त महीने में इसी प्रदेश में बीजेपी नेता और नगर पालिका के उपाध्यक्ष हरीश वर्मा के गौशाला में भूख और प्यास के चलते दो सौ से ज्यादा गायों की मौत का मामला सामने आया था।
Over 200 cows dead in 2 days due to starvation in a Gaushala in Chattisgarh's Durg says Rajpur village Sarpanch Pati Sevaram Sahu pic.twitter.com/AK6560q4Ur
— ANI (@ANI) August 18, 2017
वसुंधरा सरकार के राज में हिंगोनिया गोशाला में गायों की मौत का मामला मीडिया में सामने आ चूका है। राजस्थान के कालिया गोशाला में पिछले कुछ समय के दौरान 40 से ज्यादा गायों के तड़प तड़प के मरने का मामला भी सामने आ चूका है। याद रहे कि ये वही राजस्थान है जहां अलवर में गोतस्करी के आरोप में पहलू ख़ान को सरेराह पीट-पीटकर मार डाला गया था।
सवाल यह है कि गायों के मामले में सबसे ज़यादा वाद-विवाद और प्रदर्शन करने वाली पार्टी क्यों अपने ही राज में इन गायों के मौतों पर चुप
क्यों है? अब तक इस मामले में वहां के सीएम रमन सिंह ने भी कोई जवाब या प्रतिक्रिया नहीं दी है जबकि वो सुबह से अटल बिहारी को जन्मदिवस की बधाई देने के साथ ही कई ट्वीट कर चुके है।
सोचने वाली बात यह भी है कि अगर यहीं घटना कांग्रेस या किसी अन्य शाषित राज्यों में होती तो भी क्या बीजेपी या तथकथित गऊ रक्षक इसी तरह से चुप्पी साध लेते?