पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री इमरान खान ने विवादित बयान दिया कि “शायद वह भ्रष्टाचार के 500 व्यक्तियों जेल भेज सके जैसे को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भ्रष्ट आरोपियों को सूली पर चढ़ा सके।” पकिस्तान के एक दिग्गज अखबार ने इमरान खान की आलोचना की और कहा कि “यह बयान उनकी विक्षुब्ध मानसिकता को प्रदर्शित करता है।”
इमरान खान बीते हफ्ते चीनी नेतृत्व के साथ वार्ता के लिए बीजिंग की यात्रा पर थे। पाकिस्तान में भ्रष्टाचार निवेश की राह में सबसे बड़ा रोड़ा है और उन्होंने कहा कि “उन्होंने चीन से जो एक चीज सीखी है कि कैसे देश के भ्रष्टाचार को खत्म किया जा सकता है।”
खान ने बुधवार को चीनी कारोबारियों को संबोधित करते हुए कहा कि “मेरे इच्छा है कि मैं शायद शी के उदाहरण पर अमल कर सकता और 500 भ्रष्ट व्यक्तियों को पाकिस्तानी जेल में ठूंस सकता। राष्ट्रपति शी जिनपिंग का सबसे बड़े धर्मयुद्धो में से एक भ्रष्टाचार के खिलाफ था।”
इमरान खान चीनी राष्ट्रपति द्वारा साल 2012 में शुरू हुए भ्रष्टाचार रोधी अभियान की तरफ इशारा कर रहे थे जिसमे करीब 13 लाख लोगो को गिरफ्तार किया गया था इसमें अधिकारी से लेकर आम जनता भी शामिल थी।
सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी और सेना के कमांडर ऑफ़ चीफ शी जिनपिंग है और उन्होंने पार्टी, सरकार, सेना और राज्य नियंत्रित कंपनियों के अधिकारियो के खिलाफ भ्रष्टाचार का अभियान शुरू किया था। चीनी मॉडल को अपनाने के लिए म्पक मीडिया ने खान को सावधान किया है।
डॉन अखबार ने कहा कि “एक पिछड़े, अलग थलग राज्य से एक आर्थिक महाशक्ति बनने के चीनी इतहास से पाकिस्तान के नेता प्रभावित रहे हैं। लेकिन कई ऐसी चीजे है जो हमें चीन के उभरने के बारे में सीखना चाहिए, यहाँ ऐसे भी सबक है जिन्हें अनदेखा करना चाहिए अगर सत्ताधारी देश में लोकतान्त्रिक प्रणाली को बरक़रार रखना चाहते हैं।”
पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्री फैसल वव्दा ने कहा कि “देश के 22 करोड़ लोगो के भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए 5000 लोगो को सूली पर चढ़ा देना चाहिए। भ्रष्टाचार दशको से पाकिस्तान को खोखला कर रहा है। भ्रष्ट लोगो से जेल भरने की बजाये उन्हें सडको पर फांसी देनी चाहिए।”
लेख में कहा कि “चीन की आधुनिकता से उसके इतिहास को भुलाया नहीं जा सकता है। इस्लामाबाद और बीजिंग के सम्बन्ध परिपक्व हो गए हैं और कई क्षेत्र में सुधरे हैं।” एक्सप्रेस ट्रिब्यून में बताया कि प्रधानमत्री द्वारा अपने ही देश के राजनितिक और कानूनी प्रणाली को विदेशी सरजमीं से सार्वजानिक स्तर पर दुत्कारना अच्छा नहीं है।”