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    इराक

    इराक के विगत दिनों से सरकार विरोधी प्रदर्शन जारी है। प्रदर्शनकारी सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार को रोकने में नाकाम रहने, बेरोजगारी और देश में जन सुविधाओं के अभाव के कारण सड़को पर उतरे हैं। अमेरिका ने इराक में घुसपैठ कर तत्कालीन राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन का सफलतापूर्वक तख्ता पलट कर दिया था और इसके बाद देश ने लोकतंत्र की राह पर चलना शुरू किया था।

    इराक साल 2014 से 2017 तक गृह युद्ध की पेंच में फंसा हुआ था जिसका फायदा उठाकर आईएसआईएस ने कई क्षेत्रों में पर कब्ज़ा कर लिया था लेकिन इराक की सेना ने आतंकवादियों को खदेड़ दिया था। बग़दाद में हिंसक प्रदर्शनों का दौर शुरू हुआ था और सुरक्षा बल ने इसकी प्रतिक्रिया में वाटर केनन, आंसू गैस और गोलीबारी का इस्तेमाल किया था। कई प्रदर्शनकारियो की मौत हो गयी थी जिसमे सैकड़ो लोग घायल थे।

    अल जजीरा के एक आर्टिकल के मुताबिक, इन्टरनेट पर पाबन्दी के बाद देश में तनाव काफी बढ़ गया है। प्रदर्शनकारियो के बीच संपर्क को रोकने के लिए कार्रवाई की जा रही है और उन्हें प्रदर्शन से सम्बंधित किसी भी फुटेज को पोस्ट करने के लिए रोका जा रहा है।

    प्रदर्शन पर काबू पाने के लिए सरकार ने शहर में कर्फ्यू लगाने के आदेश दिए थे। शुक्रवार को सरकार ने कर्फ्यू को हटाने का निर्णय लिया था। मंगलवार को शुरू हुए प्रदर्शन में अभी तक 41 लोगो की मौत हो गयी है और इसमें तीन सैनिक भी शामिल है।

    इस प्रदर्शन में 363 सुरक्षा सदस्यों सहित 1952 लोग बुरी तरह से जख्मी हुए हैं। इराक ने साल 2017 में इस्लामिक स्टेट पर जीत का ऐलान कर दिया था लेकिन देश के खोये भागो को वापस लेने में असमर्थ रही थी। प्रदर्शनकारियो के मुताबिक, सरकार का इस मामलो को हल न करना सरकार में बढ़ते भ्रष्टाचार को साबित करता है।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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