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    भारत और पाकिस्तान

    भारत के विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री इमरान खान की गैर जिम्मेदाराना और भड़काऊ बयान की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि “खान इससे बेखबर है कि अंतरराष्ट्रीय सम्बन्ध किस तरीके से बनाये जाते हैं और उनके बयान प्रधानमन्त्री पद को शोभा नहीं देते हैं।”

    विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि “खान ने बीते महीने एक रैली के दौरान कहा था कि वह जानते हैं कि पीओके के अधिकतर युवा एलओसी पर प्रदर्शन करना चाहते हैं। हालाँकि खान ने युवाओं से यूएन जनरल असेंबली में मामला उठाने तक शांत रहने का आग्रह किया था।”

    रवीश कुमार ने कहा कि “पाकिस्तान की तरफ से ऐसी बयानबाजी पहली दफा नहीं है। पाकिस्तानी पीएम एक शीर्ष संवैधानिक पद पर है। उन्होंने इससे पहले भी ऐसे बयान दिए हैं। आप यूएनजीए में दिए गए बयानों को सुन सकते हैं, उन्होंने भड़काऊ और गैर जिम्मेदाराना भाषा का इस्तेमाल किया था। हम इसकी आलोचना करते हैं।”

    यूएन में खान ने कश्मीर मामले को उठाया था और भारत से कश्मीर में अमानवीय कर्फ्यू हटाने की मांग की थी और सभी राजनीतिक कैदियों को रिहा करने की मनाग की थी। रवीश कुमार ने कहा कि “मेरे ख्याल से वह अंतरराष्ट्रीय संबंधों को स्थापित करने के तरीके से अनजान है। वह भारत के खिलाफ खुलेआम जिहाद की बात कर रहे हैं। यह कोई समान्य व्यवहार नहीं है।”

    प्रवक्ता ने कहा कि “हम पाकिस्तान और उसके नेताओं को एक सामान्य पड़ोसी मुल्क की तरह व्यवहार करना चाहिए। वे आमतौर पर ऐसा नहीं करते। हम इसकी उम्मीद नहीं करते लेकिन हमने पड़ोसी होने के नाते कई बार ऐसा किया है। किसी दूसरे देश की क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करने की उनकी मांग रहेगी, वह अपने पद की गरिमा बरक़रार नहीं रख सकेंगे।”

    58 राष्ट्रों का समर्थन होने के दावे पर प्रतिक्रिया देते हुए कुमार ने कहा कि “वह इन राष्ट्रों की सूची को प्रदर्शित करने में सक्षम नहीं है। जब अवाम उन्सिस फेरहिस्त को जारी करने की मांग कर रही है तो वे ऐसा क्यों नहीं कर रहे हैं।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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