रूस ने ईरान परमाणु संधि, फिलिस्तीन और लिबयन युद्ध के संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र के कानूनों का उल्लंघन करने की आलोचना की है। रूस के विदेश मन्त्री सेर्गेई लावरोव ने कहा कि “विश्व्यापी कानूनों की तोड़ना परेशानी के स्तर से ऊपर तक पंहुच चुका है क्योंकि उनका फोकस अमेरिका द्वारा साल 2015 की परमाणु संधि से अपना नाम वापस लेने पर था।”
उन्होंने का कि “अमेरिका ने परमाणु संधि से नाम वापस ले लिया और अपनी प्रतिबद्धताओं का पालन न करने का ऐलान कर दिया और अन्यो से अमेरिकी सिद्धांतो के साथ खेलने का आग्रह करना शुरू कर दिया था।” अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने मई 2018 में ईरान के साथ हुई परमाणु संधि को तोड़ दिया था।
लावरोव ने कहा कि “हम डील ऑफ़ द सेंचुरी का इन्तजार रहे हैं। जो येरुशलम और गोलन हाइट्स पर एकतरफा निर्णय पेश करेगी। येरुशलम को इजरायल की राजधानी और गोलन हाइट्स पर इजरायल के कब्जे को मान्यता देगी।”
उन्होंने कहा कि “द्वि राज्य प्रणाली फिलिस्तीन की जनता की इच्छाओ को संतुष्टि देगी और इजरायल व अन्य के लिए सुरक्षा मुहैया करेगी।” हमारी अमेरिका के कदमो से खतरा उत्पन्न हो सकता है।”
लीबिया में उल्लंघन के बाबत लावरोव ने कहा कि “नाटो के प्रत्येक सैनिक राष्ट्र में बमबारी कर रहा हैं और निर्दयता से यूएन के प्रस्तावों का उल्लंघन कर रहे हैं। इसका परिणाम लीबिया की तबाही होगी और नाटो इसके लिए नियमो पर आधारित आदेशो का तर्क देता है।”
उन्होंने कहा कि “नाटो के अनुभवों से सबसे अधिक प्रभावित अफ्रीकी राष्ट्र हुए है और कुछ देशो पर उत्पीड़को को सुरक्षा देने का आरोप लगाया है और अब उनके साथ मिलकर काम कर रहे हैं जो अफगानिस्तान, लीबिया और सीरिया में हो रहा है।”