चीनी विदेश मंत्रालय के प्रेअवक्ता ने शनिवार को कहा कि “बीजिंग अंतरराष्ट्रीय हथियार संधि में जल्द से जल्द शामिल होने के इच्छुक है। यह एक राष्ट्र की जिम्मेदारी है कि वह वैश्विक समुदाय में एक दिग्गज सदस्य की ताराग शामिल हो।” इस आग्रह को अमेरिका ने ख़ारिज कर दिया है।
चीन वैश्विक संधि में शामिल होने के इच्छुक
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि “वह अमेरिकी चिन्ह को संधि से अलग रखने का इरादा रखते हैं। जिसके तहत समस्त विश्व में पारंपरिक हथियारों में 70 अरब डॉलर जारी करने के निर्देश दिए गए हैं और मानव अधिकारों के उल्लंघनकर्ताओं के हाथो से हथियारों को दूर रखना है।
जनरल असेंबली ने इसे साल 2013 में लागू किया था और अब तक 104 राष्ट्र इस संधि में शामिल हुए हैं। पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इसकी शुरुआत की थी और यह नेशनल राइफल एसोसिएशन और अन्य संरक्षणवाद समूहों से उलट है और इसे कभी अमेरिकी संसद ने मंज़ूरी नहीं दी थी।
शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र में बातचीत करते हुए चीनी सरकार के आला प्रतिनिधि वांग यी ने कहा कि आर्म्स ट्रेड ट्रीटी में शामिल होने के लिए चीन ने तय कानूनों का पालन करना शुरू कर दिया है।
एक अधिकारिक बयान में चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि “राष्ट्र इस संधि में जल्द से जल्द शामिल होने के बेहद उत्सुक है। विश्वव्यापी हथियार व्यापार प्रशासन में प्रभावी तौर पर शामिल होने की चीन की गतिविधि सार्थक है। साथ ही बहुपक्षवाद में मदद के लिए चीन को आश्वस्त किया है।”
उन्होंने कहा कि “अंतरराष्ट्रीय परिवार का जिम्मेदार सदस्य होने के नाते चीन सभी पक्षों के साथ सहयोग और परापर मज़बूत रखने के लिए इच्छुक है। मनको पर खरे और वाजिब हथियार व्यापार आर्डर के निर्माण के लिए एकजुट होकर कार्य करने के लिए तत्पर है। अन्तरराष्ट्री और क्षेत्रीय शान्ति व स्थिरता को कायम रखने के लिए सकारात्मक योगदान देना चाहता है।”
दोनों राष्ट्र व्यापार युद्ध के शिकंजे में फंसे हुए हैं। इस कार्यकाल में चीन ने 53 राष्ट्रों के साथ सार्थक हथियार का सौदा किया है, इसमें सबसे अदिक फायदा पाकिस्तान को हुआ है और इसके बाद बांग्लादेश है।