भारत ने विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान को आतंकिस्तान करार दिया है और इस्लामाबाद ने जम्मू कश्मीर में अशांति का ईंधन भरने के लिए आतंकवाद के पूरे उद्योग का निर्माण किया है और नई दिल्ली आतंकियों के प्रायोजक देश से बातचीत नहीं कर सकती है।”
जयशंकर ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि “पाकिस्तान को उस मॉडल को स्वीकारना ही होगा जिसके लिए उनका निर्माण किया गया था। आज आप उस दिन और अवस्था में नहीं है जहाँ आप आतंकवाद की नीति का इस्तेमाल एक वैध तरीके से कर सके। हमें पाकिस्तान से बात करने में कोई दिक्कत नहीं है लेकिन हमें आतंकवादियों से बातचीत करने में समस्या है।”
जयशंकर ने 370 को हटाने पर पाकिस्तान की प्रतिक्रिया क्रोध और निराशा को दर्शा रही है। उन्होंने कहा कि “पाकिस्तान एक ऐसा मुल्क है जिसने कश्मीर मामले से डील के लिए एक पूरा आतंकवाद का उद्योग तैयार कर रखा है जो अब कह रहा है कि अगर नीति सफल हुई तो 70 वर्षों का निवेश आबाद हो जायेगा। आज की क्रोधित निराशाजनक प्रतिक्रिया बहुत से कारणों से है क्योंकि उन्होंने एक लम्बी अवधि में इस उद्योग का निर्माण किया था।”
कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान ने कई देशो और अंतरराष्ट्रीय संघठनो की तरफ भारत पर दबाव डालने के लिए रुख किया था। हालाँकि वैश्विक समुदाय ने पाकिस्तान से भारत के साथ प्रत्यक्ष द्विपक्षीय वार्ता करने का सुझाव दिया है।
विदेश मन्त्री ने कहा कि ” अनुच्छेद 370 को संविधान से निष्प्रभावी करना जरुरी था क्योंकि राज्य में अलगाववाद के उत्थान में बाधा का कार्य करेगा। क्योंकि इस प्रावधान के तहत संपत्ति का मालिकाना हक़ सिर्फ स्थानीय लोगो के पास रख सकता है, इससे बाहरी निवेश नहीं हो सकता था। आप शेष भारत में आर्थिक बदलावों को देख सकते हैं, यह कारोबार कश्मीर से होकर गुजरे हैं।”
उन्होंने कहा कि “कश्मीर की असल मदद अड़चन बन रहे ब्रिज को खत्म करना है। इसके राजनीतिक और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए परिणाम हो सकते हैं। विकास की कमी नफरत की भावना को उत्पन्न करती है, नफ्रात अलगाववाद में बदलती है और फिर अलगाववाद आतंकवाद में परिवर्तित हो जाता है।”