भारत के विदेश मन्त्री एस जयशंकर ने कहा कि “पेरिस समझौते की प्रतिबद्धताओं को हासिल करने में भारत कई पश्चिमी देशो के मुकाबले बेहतर कर रहा है। पहला, जलवायु परिवर्तन पर भारत की तरफ व्यवहार का परिवर्तन हो जाना। कुछ वर्षो पहले तक लोग जलवायु परिवर्तन को एक सिर्फ उभरती जागरूकता मानते थे।”
उन्होंने कहा कि “असल में जब पेरिस प्रतिबद्धताओं को निभाने की बात आती है, मुझे पढने से लगता है कि भारत यूरोप के कई देशो और अन्य राष्ट्रों से पेरिस संधि की प्रतिबद्धताओं को हासिल करने में बेहतर कर रहा है। साल 2015 में जब पेरिस समझौते पर चर्चा हुई थी तो नई दिल्ली ने जलवायु परिवर्तन का नेतृत्व करने की ठान ली थी।”
उन्होंने जोर देते हुए कहा कि “भारत अक्षय ऊर्जा क्षमता के 175 गीगावाट को स्थापित कर अपनी मार्ग पर आगे बढ़ रहा है। पेरिस में हमने वाकई जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का नेतृत्व करने का निर्णय लिया था। 77 सदस्यों का समूह को काफी विचारों और स्थिति से प्रभावित हुआ होगा लेकिन हमारे लिए पेरिस के बाहर के परिणाम ज्यादा मायने रखते हैं, जो हमारे और विश्व के लिए महत्वपूर्ण होंगे।”
जयशंकर ने कहा कि “हमने सौर ऊर्जा की पैरवी और अमल में लाने की महत्वता को फैलाने का निर्णय लिया था। हमने तय समयसीमा पर एक महत्वकांक्षी सौर प्रोजेक्ट का खुलासा किया था। हमने अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन की शुरुआत की थी। इसका लक्ष्य 175 गीगावाट था।”
उन्होंने कहा कि “विश्व की सफलता सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने में लाभदायक होगी जो भारत के लक्ष्यों काफी निर्भर करती है।” एसडीजी के लक्ष्यों को साल 2015 में संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राज्यों ने लागू किया था और दुनिया से गरीबी को मिटाने, ग्रह की रक्षा और साल 2030 तक सभी लोगो को शान्ति और समृद्धता का लुत्फ़ उठाने की को सुनिश्चित करने के लिए मांग की थी।”