पाकिस्तान के अहमदिया मुस्लिम समुदाय के सदस्यों ने ने कथित उत्पीड़न का आरोप लगाया और यूएन के इतर एक समारोह में न्याय की मांग की है। साल 1974 में पाकिस्तान के संविधान में संशोधन किया गया था और नए कानून के अनुसार मुस्लिम अल्पसंख्यक अहमदी समुदाय को गैर मुस्लिम करार दिया था।
अहमदी समुदाय पर अत्याचार
साल 1984 में पूर्व राष्ट्रपति जनरल मुहम्मद जिया उल हक़ की हुकूमत में पाकिस्तानी सरकार ने एक आर्डिनेंस को लागू किया जिसके तहत अहमदी समुदाय को खुद को मुस्लिम कहने पर तीन वर्षो की कारावास की सजा और जुर्माना लगाये जाने का आदेश दिया गया।
ब्रिटेन में अहमदी मुस्लिम समुदाय के विदेशी मामले के राष्ट्रीय सचिव फरीद अहमद ने कहा कि “अहमदिया मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाया गया था। यह प्रस्ताव अहमदिया को निशाना बनाने के लिए लागू किया गया ताकि हम उनकी मुखालफत न कर सके।”
उन्होंने कहा कि “पाकिस्तान में सैकड़ो अहमदियो की हत्या की गयी है और हाज़ारो को का शोषण किया गया है। हजारो लोगो पर कानून के तहत आरोप लगाये गए हैं। हमारे पास शिक्षण प्रणाली तक जाने की पर्याप्त पंहुच नहीं है। हमें पाकिस्तान में हमारे मूल अधिकार मतदान करने से भी वंचित कर दिया गया है।”
देश के ईशनिंदा कानून के तहत अहमदिया को झूठे आरोपों में फंसाया जा रहा है। अहमदिया मुस्लिम समुदाय के सदस्य सर इफ्तिखार अहमद अयाज़ ने कहा कि “पाकिस्तान का संविधान हर बाशिंदे को समान अधिकार देता है लेकिन हमारे समुदाय के लोग उत्पीड़न सह रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि “पूरी दुनिया जानती है कि पाकिस्तान में अहमदियो के साथ क्या हो रहा है। उन्हें हर चीज से वंचित कर दिया गया है जबकि उनके संविधान के अनुछेद 20 के तहत सभी को धार्मिक आज़ादी दी गयी है। हमारे समुदाय पर पाक स्थलों पर जाने और कुरान को रखने पर भी पाबन्दी लगाई गयी है।”
बीते कुछ वर्षो में अहमदी नागरिको की सैकड़ो की तादाद में हत्या की गयी है। इस्लामाबाद में साल 2017 में अहमदी विरोधी अभियान चलाया गया था।