ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी के नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र में कहा कि “इस महीने की शुरुआत में सऊदी अरब की दो तेल कंपनियों पर हमले के लिए ईरान को जिम्मेदार ठहराया था।” ब्रिटेन के प्रधानमन्त्री बोरिस जॉनसन, फ्रांस के राष्ट्रपति इम्मानुएल मैक्रॉन और जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल वार्षिक यूएन की बैठक में शामिल हुए थे और वैश्विक नेताओं के साथ ईरान पर रणनीति को तय किया था।
सऊदी हमले के लिए ईरान कसूरवार
तीनो नेताओं की तरफ से फ्रांस ने कहा कि “यह हमारे लिए स्पष्ट है कि ईरान इस हमले के लिए कसूरवार है। इसके लिए कोई स्पष्टीकरण नहीं है। मध्य पूर्व में तनाव को कम करने के लिए सभी सम्बंधित पक्षों के साथ वार्ता के लिए अनुकूल माहौल को तैयार करने के लिए हम प्रतिबद्ध है।”
बयान के अनुसार, ईरान के लिए वक्त आ गया है कि वह अपने परमाणु कार्यक्रम के ढाँचे के लिए वार्ता को स्वीकार कर ले। इसमें उसके मिसाइल प्रोग्राम भी शामिल है। 14 सितम्बर को सऊदी अरब की तेल कंपनियों पर मध्य पूर्व में हमला किया गया था इससे सल्तनत का 50 फीसदी तेल उत्पादन में संकट उत्पन्न हो गया है।
सल्तनत पर हमले की जिम्मेदारी यमन के हौथी विद्रोहियों ने ली थी हल्नाकी अमेरिका और सऊदी अरब ने इसके लिए ईरान को कसूरवार ठहराया था। इन आरोपों को खारिज करते हुए ईरान के विदेश मन्त्री जावेद जरीफ ने सोमवार को कहा कि “इसका कोई कारण नहीं है कि हौथी विद्रोही झूठ बोल रहे हैं जबकि सऊदी की तेल कंपनियों पर हमले की जिम्मेवारी हौथियो ने ही ली है।”
सऊदी अरब की तेल साइट्स पर हुए हमले के कारण ईरान और अमेरिका के बीच तनाव काफी बढ़ गया है। वांशिगटन ने रियाद और अबू धाबी में सैनिको की तैनाती को मंज़ूरी दे दी है।