पाकिस्तान एक तरफ निरंतर कश्मीर मामले का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने की कोशिश कर रहा है जबकि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर पाकिस्तान से अपनी आजादी के लिए संघर्ष कर रहा है। पीओके के निवासियों के लिए पाकिस्तान का स्पष्ट सन्देश है कि आज़ादी की किसी भी बातचीत की अनुमति नहीं है।
पीओके में जलती आज़ादी की लौ
हालिया दिनों में न्यूयोर्क टाइम्स के कुछ पत्रकारों को इस इलाके में जाने की अनुमति दी गयी थी। इस सूबे में पाकिस्तान की सुरक्षा व्यवस्था काफी कठोर है। यहाँ के निवासियों ने कहा कि “बीते कुछ वर्षो में इस अधिग्रहित इलाके का प्रभुत्व बढ़ा है, खासकर जब दोनों देशो के बातचीत की उम्मीद तक मंद होने लगी थी।”
स्थानीय बाशिंदों के हवाले से न्यूयोर्क टाइम्स ने रिपोर्ट में लिखा कि पाकिस्तान की कार्रवाई यहाँ फोकस में हैं। पीओके में हुए प्रदर्शन को दुर्लभ ही पाकिस्तानी मीडिया में दिखाया जाता है और इस इलाके में मोबाइल फ़ोन और इन्टरनेट पर पाबन्दी लगा रखी है। एक सैन्य जनरल ने भारतीय एजेंट्स कहकर इस प्रदर्शन को ख़ारिज कर दिया था।
बाशिंदों ने कहा कि “समूचे इलाके में आज़ादी समर्थक प्रदर्शन हाज़ारो लोगो को आकर्षित कर रहे हैं।” हालाँकि पीओके के राष्ट्रपति मसूद खान पाकिस्तानी सेना की कार्रवाई का बचाव करते हैं। उन्होंने कहा कि “इस महीने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ पुलिस बल की कार्रवाई रक्षात्मक थी।”
रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान द्वारा इस सूबे में मानव अधिकारों के गंभीर उल्लंघन को देखने के लिए निवासियों ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद की गुहार लगाई है।