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    आदर्शघोटाला,अशोक चौहान

    2जी स्पेक्ट्रम मामले में कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर कांग्रेस के खेमे ख़ुशी डाली ही थी क़ि आज मुंबई हाईकोर्ट ने आदर्श घोटाले में अशोक चव्हाण को दोषमुक्त कर दूसरी ख़ुशी कांग्रेस को दे दी है। मुंबई हाईकोर्ट ने आदर्श सोसाइटी घोटाले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र के पूर्व सीएम अशोक चव्हाण पर राज्यपाल द्वारा मुकदमा चलाने की दी हुई अनुमति को रद्द कर दिया है। यानी इस मामले में चव्हाण पर कोई केस नहीं चलेगा। पिछले साल विद्यासागर राव ने आदर्श घोटाला मामले में सीबीआई को चव्हाण पर सीआरपीसी की धारा 197, आईपीसी की धारा 120-बी (षडयंत्र) और 420 (धोखाधड़ी) के तहत मुकदमा चलाने के लिए अपनी मंजूरी दी थी।

    क्या है आदर्श सोसाइटी घोटाला?

    महाराष्ट्र सरकार ने कोलाबा में आदर्श हाऊसिंग सोसाइटी बनाई थी। यह बिल्डिंग महाराष्ट्र सरकार द्वारा शहीदों के विधवाओं और डिफेन्स मंत्रालय के कर्मचारियों के लिए बनाई गई थी। लेकिन सोसाइटी बनने के कुछ साल बाद एक आरटीआई से यह खुलासा हुआ क़ि सोसाइटी के फ्लैट्स नेताओ और सेना के अफसरों को बहुत कम दामों में बेचे गए है। इस घोटाले का खुलासा 2010 में हुआ था तब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था।

    इस मामले में जाँच के लिए 2011 में महाराष्ट्र सरकार ने दो सदस्यीय जुडिशियल कमीशन गठित किया था। इस दो सदस्यीय टीम के चेयरमैन हाई कोर्ट के रीटायॅड जस्टिस जेए पाटिल थे। दो साल के अपने जाँच पड़ताल में इस कमीशन ने 182 लोगो से पूछताछ की और अंत में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौपी।

    4 पूर्व मुख्यमंत्रियों पर आई थी आंच।
    कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि इस सोसाइटी में 25 फ्लैट्स गलत तरीके से बांटें गए है और 22 फ्लैट्स गलत नाम से ख़रीदे गए है। कमीशन की इस रिपोर्ट में महाराष्ट्र के चार पूर्व मुख्यमंत्री के नाम सामने आये थे, इनमे अशोक चौहान, विलासराव देशमुख, सुशिल कुमार शिंदे और शिवाजीराव निलंगेकर शामिल थे।

    लेकिन अभी तक इस मामले में सीबीआई ने केवल आठ लोगो को गिरफ्तार किया है। इसमें दो रिटायर्ड मेजर जनरल टीके. ठाकुर और एआर. कुमार के अलावा रिटायर्ड ब्रिगेडियर एमएम. वांचू, पूर्व जनरल ऑफिसर कमांडिंग ऑफ महाराष्ट्र, प्रमोटर कन्हैयालाल गिडवानी-प्रदीप व्यास, शहर के तब के कलेक्टर और महाराष्ट्र सरकार के फाइनेंस सेक्रेटरी भी शामिल थे।

    आदर्श घोटाले में कब कब क्या हुआ?

    1- नवंबर 2010: आदर्श घोटाले का पर्दाफाश हुआ, सीबीआई की जांच शुरू हुई।
    2- 29 जनवरी, 2011: सीबीआई ने 14 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की, जिसमें महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण का भी नाम शामिल था। आईपीसी की धारा 120 (बी) के तहत आपराधिक षड्यंत्र और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के विभिन्न खंड के तहत ये प्राथमिकी दर्ज हुईं।
    3- 4 जुलाई, 2012: विशेष अदालत के सामने सीबीआई ने मामले का पहला आरोप पत्र दाखिल किया।
    4- दिसंबर, 2013: महाराष्ट्र के राज्यपाल शंकर नारायणन ने अशोक चव्हाण पर मुकदमा चलाने की मंजूरी देने से इनकार कर दिया।
    5- जनवरी, 2014: सत्र अदालत ने अशोक चव्हाण के नाम को सीबीआई द्वारा अनुरोधित अनुरोध के मामले में आरोपी के रूप में खारिज करने से इनकार कर दिया।
    6- मार्च 2015: बॉम्बे हाईकोर्ट ने अशोक चव्हाण की याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने मामले से अपना नाम हटाने की मांग की थी।
    7- अक्टूबर, 2015: सीबीआई ने राज्य के गवर्नर विद्यासागर राव को एक बार फिर मंजूरी देने के लिए नए प्रमाण प्रस्तुत किए।
    8- फरवरी, 2016: राज्यपाल राव ने अशोक चव्हाण पर मुकदमा चलाने की सीबीआई की मंजूरी दी। चव्हाण ने हाईकोर्ट को गवर्नर के आदेश को चुनौती दी।
    9- 22 दिसंबर, 2017: कोर्ट ने चव्हाण की याचिका पर सुनवाई करते हुए गवर्नर के आदेश को खारिज करने की मंजूरी दे दी है।

    लेकिन 21 दिसम्बर 2010 को बॉम्बे हाईकोर्ट ने आदर्श सोसाइटी को इंटरिम रिलीफ देने से इंकार कर दिया था। पर्यावरण नियमो को दरकिनार करने की वजह से केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने इस बिल्डिंग को तीन महीने के भीतर गिराने की सिफारिश की थी।

    इस मामले में चव्हाण ने क्या कहा?

    चव्हाण ने प्रदेश के राजयपाल द्वारा सीबीआई को उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की मंजूरी के खिलाफ कोर्ट में एक पटीशन दायर की थी। अशोक चौहान ने अपनी दलील में कहा कि उनके ऊपर मुकदमा चलना जैसे लोकतंत्र को तक पर रखने जैसा है। उन्होंने हाईकोर्ट में कहा कि पहले उनपर मुकदमा चलने के लिए गवर्नर ने सीबीआई को इजाजत नहीं दी थी। लेकिन राज्य में जैसे ही सरकार बदली, केस चलाने पर मंजुरी दे दी गई।

    लेकिन इन दोनो फैसले से कांग्रेस बहुत खुश नजर आ रही है। 2जी स्पेक्ट्रम और आदर्श सोसाइटी घोटाले में कोर्ट का निर्णेय आते ही विपक्ष ने पक्ष पर हमला बोल दिया है।