अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर व अन्य मामलो को हल करने के लिए सीधे बातचीत को समार्थन करने की बात को दोहराया है। इस्लामाबाद ने एक अमेरिका या यूएन के तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की कोशिश को जारी रखा है।शुरूआती असमंजस के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने मध्यस्थता का निरंतर प्रस्ताव दिया है।
अमेरिका ने कश्मीर और अन्य मामलो पर अपनी स्थिति को बरक़रार रखा है और कहा कि भारत और पाकिस्तान को द्विपक्षीय तरीके या प्रत्यक्ष वार्ता से हल करना चाहिए न कि बाहरी पक्षों के जरिये समाधान निकालना। यही सन्देश पाकिस्तानी मामलो के उप राज्य सचिव एर्विन मस्सिंगा ने भी नेताओं के साथ हालिया बैठक में दिया था।
ऐलिस जी वेल्स ने ट्वीट कर कहा कि “कश्मीर पर भारत और पाकिस्तान के बीच सीधे वार्ता और अन्य चिंतित मामलो के समर्थन में अमेरिका है।” पाकिस्तान कश्मीर के मामले में अमेरिका से मध्यस्थता चाहता है और आला स्तर की मुलाकातों में यह उनके एजेंडा में प्राथमिकता पर है। हर पाकिस्तानी नेता अमेरिकी समकक्षियो के साथ मुलाकात में कश्मीर मामले के बाबत बताता है।
डोनाल्ड ट्रम्प ने मध्यस्थता का प्रस्ताव दिया था और कहा कि इसका आग्रह प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने किया था। ट्रम्प ने निरंतर मध्यस्थता का प्रस्ताव दिया है। उन्होंने सार्वजनिक और निजी तौर पर आग्रह किया कि मामले पर अमेरिका की स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं होगा और सहायता के लिए तत्पर है।
अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत असद मजीद ने कहा कि “अब यह ट्रम्प के मध्यस्थता के प्रस्ताव पर फैसला लेने का अमेरिका का फैसला लेने का वक्त है। भारत या पाकिस्तान की लिहाज की बजाये कश्मीर की जनता की बार को सुनना चाहिए।”
फ्रांस में प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुलाकात के बाद डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा था कि “मेरे ख्याल से वे खुद बेहद अच्छा कर सकते हैं। वे काफी लम्बे अरसे से कर रहे हैं।” उन्होंने न्यूयोर्क टाइम्स में एक लेख में लिखा कि “वैश्विक समुदाय को व्यापार और कारोबार फायदों से आगे सोचना चाहिए। द्वितीय विश्वयुद्ध म्युनिक में तुष्टिकरण की वजह से हुआ था।”