सारे हिंदू हिंदू नहीं होते
जो हिंदू नहीं होते
वे भी हिंदू होते हैं
क्योंकि वे मुसलमान नहीं होते
लंगोट बांधने,
राख लपेटने वाले
हिंदुओं में भी
कुछ कम कुछ ज़्यादा हिंदू होते हैं
कर्नाटक समेत देश भर में जिस तरह का माहौल चल रहा है उस हिसाब से अमिताभ बच्चन की कविता ‘तरह तरह के हिंदू’ की यह पंक्तियाँ प्रासंगिक बैठती है। आज कल हर विधानसभा चुनाव में धार्मिक कार्ड खेले जा रहे है। गुजरात के बाद अब कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भी हिन्दू होने की होड़ लगी हुई है।
यहां राजनेता अपने को ज्यादा बड़ा हिन्दू और दूसरे को गैर हिन्दू या कम हिन्दू बता रहे है। देश का संविधान भले ही धर्मनिरपेक्ष हो या धर्मनिरपेक्षता की बात करता हो पर राजनितिक दलों के लिए धर्म वो मुद्दा है जो सदैव ही सदाबहार रहता है। पिछले कई चुनावों में आम आदमी के मूल मुद्दे चुनावी वादों और नारों में भले सुनाई न दे लेकिन धार्मिक मुद्दे सुनाई देते है।
चुनाव अब विकास पर नहीं बल्कि मंदिरों, भगवानों, जनेऊधारियों जैसे मुद्दों के बल पर लड़ा और जीता जा रहा है। गुजरात की तरह ही अब कर्नाटक में भी कम हिन्दू और ज्यादा हिन्दू का राग सुनाई देने लगा है।
यहां पर यूपी के सीएम आदित्यनाथ योगी ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया है कि “हिंदुओं और बीजेपी कार्यकर्ताओं की हत्या की जा रही है वह ‘अराजकता की दशा’ को दर्शाता है”, उनका इशारा सिद्धारमैया सरकार पर था। योगी ने यह भी कहा कि कर्नाटक कांग्रेस द्वारा भारत की महान संस्कृति को भुला कर टीपू सुलतान की जयंती को मनाना दूखनीय है।
योगी ने कहा कि कर्नाटक हनुमान जी की भूमि है इसलिए यह निंदनीय है कि कांग्रेस हनुमान जी और विजयनगर की पूजा करने के बजाए टीपू सुल्तान दिवस मना रही है। योगी के इतना कहते ही प्रदेश की सत्ता गरमा गयी। तुरंत ही उनके बयानों पर प्रतिक्रियाए आने लगी।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने जवाबी हमला किया कि वो योगी और बीजेपी वालों से बड़े हिन्दू है। मुख्यमंत्री यहीं नहीं रुके बल्कि उन्होंने अपना परिचय देते हुए यह भी स्पष्ट कर दिया कि वो कैसे योगी से बड़े हिन्दू है। सिद्धारमैया ने कहा कि उनके नाम में सिद्ध भी है और राम भी, इसलिए वो ही सबसे बड़े हिन्दू है।