भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरूवार को जकार्ता में सीआईआई के दफ्तर को खोलने के मौके पर कहा कि भारतीय उद्योग ने अपने इंडोनेशिया के समकक्षियो के साथ सक्रियता से जुड़ने के लिए आदर्श मंच को ढूंढ लेगा और साल 2025 तक द्विपक्षीय व्यापार 50 अरब डॉलर को सही दिशा की तरफ ले जाया जा रहा है।
इंडोनेशिया के साथ संबंधो में विस्तार
उन्होंने कहा कि “आसियान देशो में इंडोनेशिया भारत का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है। हमारा द्विपक्षीय व्यापार बीते वर्ष 20 अरब डॉलर को पार कर गया था। व्यापार घाटे की तरफ देखने की तत्काल जरुरत है और अधिक व विविध निर्यात के जरिये अधिक संतुलित व्यापार को हासिल करने के मायनों को देखना चाहिए। द्विपक्षीय व्यापार का विस्तार कर हमारा मकसद इसे हासिल करना है।”
मंत्री ने कहा कि “भारत और इंडोनेशिया जैसे विकासशील देशो के लिए हाथ मिलाना बेहद जरुरी है और साझेदारी करनी चाहिए ताकि दोनों देश वैश्विक आर्थिक चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार हो। समस्त द्वीपीय राष्ट्र में भारतीय उद्योगों की मौजूदगी है इसमें ऊर्जा, ढांचा, फार्मास्युटिकल्स, टेक्सटाइल, बैंकिंग और आईटी सुविधाएँ शामिल है।”
इस समारोह में जयशंकर ने महात्मा गाँधी के 150 वीं वर्षगाँठ के मौके पर एक स्टाम्प का खुलासा किया था। उन्होंने कहा कि “दो प्राचीन सभ्यतायें साझा संस्कृतिक बन्धनों से बंधी हुई है, भारत और इंडोनेशिया दोनों राष्ट्र “विविधता में एकता” के मूल सिद्धांत से जुड़े हुए हैं।
समुंद्री नजदीकियों को बढाने पर विमर्श
जयशंकर बुधवार को तीन दिवसीय यात्रा के लिए इंडोनेशिया पंहुचे थे। यह विदेश मंत्री की आसियान राष्ट्रों की पहली यात्रा थी और कार्यभार संभालने के बड़ा द्वीपीय राष्ट्र की पहली यात्रा थी। जयशंकर ने इंडोनेशिया के समकक्षी के साथ द्विपक्षीय संबंधो पर तफ्शील से चर्चा की थी।
जकार्ता में भारतीय दूतावास ने बयान जारी कर कहा कि “दोनों नेताओं ने मेरीटाइम डोमेन में गहन द्विपक्षीय संबंधो के कदमो पर चर्चा की थी। इसमें भारत के अंडमान और निकोबार द्वीप और इंडोनेशिया के अचेह प्रान्त के बीच कनेक्टिविटी भी शामिल है।”
इस साल के अंत जॉइंट कमीशन की बैठक में विदेश मंत्री ने इंडोनेशिया के समकक्षी को भारत आने का आमंत्रण दिया है। इस दौरान जयशंकर ने इंडोनेशिया के कई आला अधिकारियो के साथ मुलाकात की थी। उन्होंने उप राष्ट्रपति जुसुफ काला से भी मुलाकात की और भारत व इंडोनेशिया के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी को बढाने के लिए कदमो पर चर्चा की थी।