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    मालदीव अखबार भारत चीन

    मालदीव में सरकार समर्थित एक अखबार में भारत-विरोधी संपादकीय लिखा गया है। इतना ही नहीं इसमें भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को मुस्लिम विरोधी व अतिवादी हिंदू बताया गया है। इस अखबार को कथित तौर पर मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यमीन का मुखपत्र माना जा रहा है।

    इसके संपादकीय को छापने से पहले राष्ट्रपति कार्यालय की मंजूरी लेनी पड़ती है। मालदीव के अखबार में भारत विरोधी संपादकीय प्रकाशित होने के बाद राजनीतिक तूफान मच गया है। खुद मालदीव के विपक्षी नेताओं ने इसकी कड़ी आलोचना की है। विपक्ष ने इसे भारत विरोधी और अपमानजनक लेख बताया है।

    भारत व मालदीव के बीच संबंध

    वर्तमान परिपेक्ष्य में देखा जाए तो भारत व मालदीव के बीच में मजबूत संबंध नहीं है। मालदीव भारत के साथ दोस्ती से दूरी बनाकर चीन के साथ नजदीकियां बढा रहा है। हाल ही में मालदीव ने भारत को दरकिनार कर चीन के साथ मुक्त व्यापार क्षेत्र सहित कई समझौतो पर हस्ताक्षर किए है।

    लेकिन पिछले सालों की बात की जाए तो भारत ने मालदीव को काफी मदद पहुंचाई है। साल 1988 में मालदीव के विद्रोही समूह ने तख्तापलट की कोशिश की थी लेकिन भारतीय सेना के “ऑपरेशन कैक्टस” इसे विफल कर दिया था।

    साल 2009 के बाद से मालदीव में भारतीय नौसेना की उपस्थिति बनी हुई है। मालदीव में साल 2004 में आए विनाशकारी सुनामी के समय भी सबसे पहले भारतीय डॉर्नियर ने राहत सामग्री पहुंचाई थी। वहीं मालदीव ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए भारत का समर्थन किया है।

    2013 के राष्ट्रपति चुनाव ने बिगाड़े मालदीव-भारत के बीच संबंध

    साल 2013 में मालदीव में हुए राष्ट्रपति चुनावों में भारत ने अपने पर्यवेक्षकों को भेजकर राष्ट्रपति चुनाव प्रक्रिया प्रक्रिया में सहायता की थी। बाद में भारत आए पर्यवेक्षकों ने कहा कि मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यमीन ने चुनाव गलत तरीके से जीता था और देश के पहले लोकतांत्रिक ढंग से निर्वाचित नेता नाशीद को पद छोड़ने के लिए मजबूर किया।

    इसके बाद से ही भारत को दुश्मन माने जाना लगा। बाद मे यमीन ने अपनी ताकत से न्यायपालिका के सदस्यों को हटा दिया और राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए नाशीद को कैद कर दिया।

    चीन-मालदीव की नजदीकियां बढ़ी

    भारत के साथ मजबूत संबंधों को दरकिनार कर राष्ट्रपति यमीन ने चीन के साथ नजदीकियां बढ़ाना शुरू कर दिया है। चीन के साथ व्यापारिक गतिविधियों के साथ ही यमीन सरकार ने चीन को अपने द्वीप को किराए पर दे रखा है।

    वहीं चीन भी मौके का फायदा उठाकर देश के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे व राजधानी शहर के बीच एक प्रमुख पुल के निर्माण में मालदीव की सहायता कर रहा है। मालदीव चीन की समुद्री सिल्क रोड परियोजना का भी हिस्सा है।

    मालदीव के विपक्ष ने की भारत विरोधी लेख की निंदा

    मालदीव डेमोक्रेटिक पार्टी के विपक्षी नेताओं ने सरकार के समर्थित अखबार में भारत विरोधी लेख छपने का जमकर विरोध किया है। इसके लिए राष्ट्रपति कार्यालय को दोषी ठहराया गया है।

    मालदीव के पूर्व विदेश मंत्री अहमद नसीम ने भारत से आग्रह किया कि भारत और मालदीव के हित में मजबूत सुधारात्मक उपाय को ढूंढा जाए।

    मालदीव के पूर्व राष्ट्रपतियों जैसे मोहम्मद नशीद व मौमून अब्दुल गयूम ने भी इस लेख का विरोध करते हुए भारत का समर्थन किया है। गौरतलब है कि अब्दुल्ला यमीन से पहले मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद को भारतीय हित के रूप में देखा जाता था।

    भारत को उठाने होंगे तत्काल कदम

    भारत व मालदीव के बीच वर्तमान हालातों को देखने से लगता है कि मालदीव तेजी से चीन की जद में जा रहा है व भारत से दूरी बना रहा है। इसके लिए भारत को मालदीव के साथ अपने संबंधों को नए आयाम देने की कोशिश करनी चाहिए।

    भारत को रणनीतिक व राजनियक उपायों के जरिए मालदीव के साथ वापिस से पहले जैसे संबंधों को विकसित करना चाहिए। अगर देखा जाए तो मालदीव ही एकमात्र भारतीय महासागर देश है जहां पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नहीं गए। इसलिए पीएम मोदी को मालदीव दौरे पर जाना चाहिए।