पूरा देश महंगाई की मार से त्रस्त था, मानसून में देरी की वजह से किसान सूखे की मार झेल रहे थे, जीडीपी अपनी जगह पर स्थिर थी और 14 लाख रेलवे कर्मचारी हड़ताल पर चले गए थे। जी हां, हम बात कर रहे हैं 26 जून 1975 की, जब भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाने की घोषणा कर दी थी।
आपको जानकारी के लिए बता दें कि इमरजेंसी के दौरान इंदिरा गांधी ने जयपुर की महारानी गायत्री देवी के किले पर छापा मरवाया था। इंदिरा गांधी ने गायत्री देवी पर आरोप लगाया था कि उन्होंने अपने महल में काफी धन छुपा रखा है। ऐसे में इस बड़ी धनराशि का गलत इस्तेमाल किए जाने की आंशका है। लेकिन गायत्री देवी ने इंदिरा गांधी के आरोपों को एक सिरे से नकार दिया था।
इंदिरा गांधी और गायत्री देवी में अनबन
बताया जाता है कि इंदिरा गांधी और जयपुर की महारानी गायत्री देवी के बीच अनबन होने के चलते खजाने को लूटने की नियत से जयपुर के जयगढ़ फोर्ट की खुदाई की गई थी। यही नहीं, गायत्री देवी कई महीनों तक तिहाड़ के जेल में कैद रहीं। सेना ने 5 महीने तक जयगढ़ फोर्ट की खुदाई की थी।
जयगढ़ खजाने की ऐतिहासिक मान्यता
ऐसी मान्यता है कि 1580 ई. में अकबर के सेनापति मानसिंह ने अफगानिस्तान से लूटकर लाए गए खजाने को जयगढ़ में छिपा कर रखा था। कहते हैं आमेर के राजा मान सिंह ने 141 युद्धों से जितना धन लूटा था, उसे जयगढ़ फोर्ट में ही दबा दिया गया था। मान सिंह को डर था कि कहीं अकबर सारे खजाने को उनसे छिन ना ले। इतना ही नहीं महाराज माधोसिंह ने अपने समय में प्रिंस अल्बर्ट को जयगढ़ किले में प्रवेश नहीं करने दिया था।
मानसिहं और अकबर के बीच एक संधि हुई थी, जिसके अनुसार राजा मानसिहं जिन इलाकों को जीतेंगे उस पर अकबर का राज होगा लेकिन वहां से मिले खजाने पर मानसिहं का हक होगा। जंग के दौरान लूटे खजाने को मानसिहं ने जयगढ़ फोर्ट में दफना कर रखा था।
भारतीय सेना ने की थी किले की खुदाई
इमरजेंसी के दौरान यह भी अफवाह फैली कि इंदिरा गांधी और संजय गांधी के इशारे पर सेना के हेलिकॉप्टर जयगढ़ फोर्ट से मिले खजाने को दिल्ली ले जाने के लिए आए हैं। आपको बता दें कि उस दौरान सेना के आलाधिकारियों नें एक दो बार निरीक्षण के लिए जयगढ़ फोर्ट पर हेलिकॉप्टर्स से लैडिंग की थी।
कहते हैं सेना ने 5 महीने तक जयपुर के जयगढ़ फोर्ट में अपनी खुदाई की और बताया गया कि महज 230 किलों चांदी और चांदी का सामान मिला है। सेना ने इसकी लिस्ट बनाकर राजपरिवार के प्रतिनिधि को दिखाया और हस्ताक्षर कराकर सारा सामान सील कर दिल्ली ले जाया गया।
उस समय यह भी अफवाह फैली थी कि जब ट्रकों का काफिला माल लेकर दिल्ली लौटने लगा तो दिनभर के लिए जयपुर-दिल्ली का राजमार्ग बंद कर दिया गया था। बताया जाता है कि इंदिरा के इशारे पर जयगढ़ के खजाने को दिल्ली छावनी में रख दिया गया।
वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश भंडारी का कहना
राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश भंडारी मुताबिक, आपातकाल के दौरान जयगढ़ फोर्ट में 5 महीने तक चली खुदाई के बाद इंदिरा सरकार ने भले ही इस बात से मुकर गई कि यहां कोई खजाना नहीं मिला, लेकिन बरामद हुए समानों को जिस तरीके से ट्रकों में लादकर दिल्ली ले जाया गया, वह एक बड़ा सवाल छोड़ जाता है। हांलाकि इस बारे में अभी तक सटीक पुष्टि नहीं हो पाई है कि जयगढ़ फोर्ट में मानसिंह का खजाना मौजूद था भी या नहीं।
पाकिस्तान ने इंदिरा सरकार से मांगा था खजाने में हिस्सा
अरबी पुस्तक ‘तिलिस्मात-ए-अम्बेरी’ में लिखा हुआ है कि जयगढ़ फोर्ट में सात टांकों के बीच सुरक्षित तरीके से खजाना छुपाया गया है। शायद इसी आधार पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री भुटटो ने 11 अगस्त 1976 को इंदिरा गांधी को एक पत्र लिखा जिसमें जयगढ़ फोर्ट से मिले खजाने में हिस्सेदारी की मांग की गई थी।
पत्र में लिखा गया था कि आपकी सरकार जयगढ़ फोर्ट में खजाने की खोज कर रही है। पाकिस्तान भी इस खजाने में हकदार है, क्योंकि विभाजन के समय किसी भी ऐसी दौलत की जानकारी अविभाजित भारत को नहीं थी। ऐसे में विभाजन के समझौते अनुसार इस खजाने पर पाकिस्तान का भी हक बनता है। भुटटो ने लिखा कि इस खुदाई के बाद जो भी खजाना हासिल होगा, उसमें पाकिस्तान का हिस्सा बनता है। और इस खजाने के हिस्से को बिना किसी शर्त के पाक को सौंप दिया जाएगा।
बाद में 31 दिसंबर 1976 को इंदिरा ने भुटटो को लिखे पत्र में जवाब दिया कि विशेषज्ञों की राय के अनुसार पाकिस्तान का ऐसा कोई दावा नहीं बनता है, उन्होंने यह भी लिखा कि जयगढ़ में कोई खजाना नहीं मिला।