संयुक्त राष्ट्र की बैठक में ब्रिटेन और कनाडा ने चीन और पाकिस्तान द्वारा धार्मिक आज़ादी को कुचलने के लिए आलोचना की है और दोनों एशियाई राष्ट्रों की आलोचना की थी। धार्मिक अल्पसंख्यको की सुरक्षा पर गुरूवार को बैठक के दौरान अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा ने चिंता को व्यक्त किया है।
उन्होंने चीन में उइगर समुदाय और और पाकिस्तान में क्रिस्चियन, अहमदी, हिन्दुओ और अन्य अल्पसंख्यको पर अत्यचार को रेखांकित किया था। पाकिस्तान पर फोकस करने वाले मानव अधिकार अध्यक्ष नवीद वाल्टर ने कहा कि चीनी और पाकिस्तानी सरकार के दोगले व्यवहार के बारे में बताया था।
साथ ही उन्होंने चीन जैसे देशो में राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर अल्पसंख्यको की धार्मिक आज़ादी को रेखांकित किया था।अमेरिका के प्रतिनिधि सैम ब्राउनबैक ने कहा कि पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यक या तो बहुतसंख्यक समुदाय के असामाजिक तत्वों के हाथों पीड़ित होते हैं या भेदभावपूर्ण कानूनों के माध्यम से।
वहीं, चीन के लिए उन्होंने कहा कि हम चीन में सरकार द्वारा धार्मिक स्वतंत्रता पर व्यापक और अनुचित प्रतिबंधों को बढ़ाए जाने के बारे में गहराई से चिंतित हैं। हम चीनी सरकार से सभी के मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रता का सम्मान करने का आग्रह करते हैं।
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत सैम ब्राउनबैक ने चीन पर निशाना साधते हुए कहा कि “हम चीन में चीन में धार्मिक स्वतंत्रता पर व्यापक और बढ़ते अवैध प्रतिबंधों पर बेहद चिंतित हैं। पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यक या तो अभियोजन से या फिर भेदभावपूर्ण कानूनों और प्रथाओं पीड़ित होते रहते हैं।”
कनाडा ने भी चीन पर निशाना साधते हुए कहा कि “चीन में उईगर जैसे मुस्लिम अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव हो रहा है वहीं पाकिस्तान में ईसाई और अहमदी समुदाय के लोगों पर अत्याचार किया जा रहा है।”
मानव अधिकार पर पाकिस्तान के अध्यक्ष एन वाल्टर ने कहा कि “पाकिस्तान में जिस तरह से धार्मिक संबद्धता के आधार पर अहमदी समुदाय की स्थिति है ठीक उसी तरह की स्थिति चीन में भी है जहां धार्मिक अभिव्यक्ति को राष्ट्रीय सुरक्षा का उपयोग करने के लिए प्रतिबंधित किया जा रहा है।”