Sat. Nov 23rd, 2024
    जयशंकर

    काठमांडू, 21 अगस्त (आईएएनएस)| विदेश मंत्री एस. जयशंकर नेपाल-भारत संयुक्त आयोग की पांचवीं बैठक में हिस्सा लेने के लिए बुधवार को काडमांडू पहुंचे। नेपाल के अधिकारियों को उनके इस दौरे में दोनों देशों के बीच प्रमुख मसलों पर व्यापक बातचीत होने की उम्मीद है। संयुक्त आयोग की बैठक तीन साल के अंतराल पर होने जा रही है।

    नेपाल के विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के हवाले से काठमांडू पोस्ट ने कहा कि नेपाल वर्षो से लंबित परियोजनाओं में तेजी की कोशिश के बजाए प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली के अप्रैल में भारत दौरे के दौरान किए गए कुछ नए प्रस्तावों को आगे बढ़ाना और उन्हें चालू करना चाहता है।

    नेपाली अधिकारी दोनों देशों के बीच विभिन्न स्तरों पर नियमित बैठकों पर जोर देना चाहते हैं और उनको उम्मीद है कि इससे अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर क्षेत्रीय महत्व के विषयों पर समान रुख बनाने में मदद मिलेगी। साथ ही, क्षेत्रीय और वैश्विक मसलों पर खुले तौर पर विचारों के आदान-प्रदान को बढ़ावा मिलेगा।

    द्विपक्षीय संबंध पर प्रख्यात व्यक्तियों के समूह की रिपोर्ट जल्द सौंपने की दिशा में भी दोनों पक्षों के बीच बातचीत हो सकती है।

    आतंकवाद के सभी रूपों की भर्त्सना के अलावा दोनों पक्षों के बीच सीमा सुरक्षा पर भी बातचीत हो सकती है।

    साथ ही, सीमा प्रबंधन पर संयुक्त कार्यसमूह और सीमा जिला समन्वय समितियों समेत सुरक्षा से संबंधित सभी तंत्रों की नियमित बैठक करने पर भी विचार विमर्श किया जा सकता है।

    काठमांडू पोस्ट के अनुसार, सुसता और कालापानी समेत सीमाकंन मसलों और बिना स्वामित्व वाली भूमि के साथ-साथ सीमा पर जायदादों के विवाद का समाधान करने के लिए सीमा स्तंभ लगाने के मसले पर भी बुधवार को बातचीत हो सकती है।

    भारत प्रत्यर्पण संधि और परस्पर विधिक सहायता का मसला उठा सकता है। दोनों देशों के बीच सीमापार सुरक्षा की चुनौतियों और मानव तस्करी से निपटने के लिए भारत विधिक रूपरेखा को मजबूत करने की आवश्यकता पर बार-बार बल देता रहा है।

    इसके अलावा, सीमापार रेल परियोजना बातचीत के एजेंडे में शीर्ष पर हो सकती है और रक्सौल-काठमांडू रेलवे के मामले में प्रगति हो सकती है क्योंकि इसका प्रारंभिक सर्वेक्षण पूरा हो चुका है।

    भारत सरकार ने स्वास्थ्य सुविधाओं के पुनर्निर्माण पर पांच करोड़ डॉलर का अनुमान प्रदान करने का करार किया था, लेकिन अधिकारी बताते हैं कि इस दिशा में बीते साढ़े तीन साल में कोई प्रगति नहीं हुई।

    बातचीत के दौरान बढ़ते व्यापार घाटे का भी मसला उठ सकता है और नेपाल के अधिकारी कई व्यापार और पारगमन संधियों में संशोधन का प्रस्ताव पेश कर सकते हैं।

    By विकास सिंह

    विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *