चेन्नई, 20 अगस्त (आईएएनएस)| भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने उस वक्त राहत की सांस ली जब चंद्रयान-2 ने मंगलवार को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया। इसरो के लिए चंद्रयान-2 को लेकर अगला बड़ा कदम 2 सितंबर को होगा, जब ऑर्बिटर से लैंडर को अलग किया जाएगा।
चंद्र अभियान के प्रमुख उपलब्धि हासिल करने के बाद इसरो प्रमुख के. सिवन ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “अब चंद्रयान -2 चांद्र के चारों ओर 88 डिग्री के झुकाव के साथ जा रहा है। नियत समय में, इसकी कक्षा को नीचे लाया जाएगा और उस समय यह 90 डिग्री का झुकाव हासिल करेगा।”
इसरो के मुताबिक, ऑनबोर्ड प्रोपल्सन सिस्टम का इस्तेमाल करते हुए लूनर ऑर्बिट इंसरटेशन (एलओआई) योजना के अनुसार सुबह 9.02 मिनट पर पूरा हुआ। चंद्रयान-2 के सभी सिस्टम पूरी तरह सही से काम कर रहे हैं।
चंद्रयान-2 को कक्षा में स्थापित करते वक्त टीम के अनुभव के बारे में बात करते हुए के. सिवन ने कहा कि सभी के दिलों ने कुछ देर के लिए धड़कना बंद कर दिया था।
उन्होंने कहा, “30 मिनट के लिए ऐसा लगा जैसे हम सभी के दिलों ने धड़कना बंद कर दिया।”
भारत ने अपने हेवी लिफ्ट रॉकेट जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल-मार्क 3 (जीएसएलवी एमके 3) की मदद से 22 जुलाई को चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण किया था।
स्पेसक्राफ्ट के तीन सेगमेंट हैं-ऑर्बिटर (वजन 2,379 किलोग्राम, आठ पेलोड्स), लैंडर विक्रम (1,471 किलोग्राम, चार पेलोड्स) और एक रोवर प्रज्ञान (27 किलोग्राम, दो पेलोड्स)।
चंद्रमा पर 7 सितंबर को प्रस्तावित सोफ्ट-लैंडिंग एक ‘भयानक’ क्षण होने वाला है क्योंकि यह कुछ ऐसा है जो इसरो ने पहले कभी नहीं किया है।
वहीं आज (मंगलवार को) किया गया लूनर ऑर्बिट इंसरटेशन (चंद्रमा की कक्षा में स्पेसक्राफ्ट को स्थापित करना) इसरो चंद्रयान -1 मिशन के दौरान पहले भी सफलतापूर्वक कर चुका है।