हाइड्रोपॉवर सेक्टर से आगे बढ़कर भारत और भूटान अब नए क्षेत्रों में विस्तार के लिए रजामंद है। इसमें स्वास्थ्य सुविधाए, शिक्षा, विज्ञान और तकनीक शामिल है। हमारे संबंधों का मूल आधार हाइड्रोपॉवर सेक्टर है लेकिन दोनों नेताओं ने सहमती जाहिर की है कि वह इससे आगे बढ़ेंगे और नए क्षेत्रों में सहयोग की तरफ देखेंगे और इसलिए वे करीबी संबंधों को बनाने कायम रखने के लिए सहमत हुए हैं।
दो दिनों की अधिकारिक यात्रा पर शनिवार को पीएम मोदी भूटान की यात्रा पर पंहुचे थे इसका मकसद दोनों देशों के बीच संबंधों को मज़बूत करना था। इस दिन का महत्वपूर्ण भाग मंग्धेच्हू हाइड्रोइलेक्ट्रिक पॉवर प्रोजेक्ट का उद्घाटन था और इसका इलावा इसरो द्वारा निर्मित ग्राउंड स्टेशन फॉर साउथ एशियाई सैटेलाईट की लॉन्चिंग थी।
इसके ब्वाद पीएम मोदी ने भूटान के समकक्षी लोटाय त्शेरिंग से मुलाकात की थी और दोनों देशों के समस्त द्विपक्षीय संबंधो पर चर्चा की थी। दोनों नेताओं की संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में भारत और भूटान से जुड़े महत्वपूर्ण संबंधों को रेखांकित किया था।
पीएम मोदी और भूटान के प्रधानमन्त्री लोटाय त्शेरिंग की मौजूदगी में भारत और भूटान ने नौ एमओयू और एक पॉवर पर्चेस समझौते पर दस्तखत किये थे। बेहद महत्वपूर्ण समझौतों पर दस्तखत किये थे। विजय गोखले ने कहा कि “प्रधानमन्त्री ने कुछ समय पूर्व ही भूटान के चौथे राजा से मुलाकात की थी। चौथे महाराज के भारत के साथ सालो तक अटूट सम्बन्ध थे और अब भी वह इसे कायम रखना चाहते हैं और इसमें निवेश करना चाहते हैं। यह मुलाकात सौहार्दपूर्ण और सकारात्मक रही थी।”
गोखले ने इंडो-भूटानी संबंधो के तीन स्तंभों को रौशनी डाली है जिन्हें भूटानी के नेताओं और मोदी की मुलाकात के दौरान उठाया गया था।